Kohinoor Diamond : विश्व की अनमोल धरोहर कोहिनूर हीरा, कैसे तय किया भारत से महारानी विक्टोरिया के ताज तक का सफर

कोहिनूर हीरा गोलकुंडा खदान में मिला था यह अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह कई साम्राज्यों के पास से होते हुए, 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा महाराजा दलीप सिंह से लेकर रानी विक्टोरिया को उपहार में दिया गया। इसका इतिहास विवादित है अभी यह ब्रिटेन की महारानी के ताज का हिस्सा है।

Kohinoor diamond history

The world precious heritage : कोहिनूर हीरा, दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक, का इतिहास बहुत ही रहस्यमय और दिलचस्प है। यह हीरा अपनी बेमिसाल खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके पीछे छिपी कहानी भी उतनी ही रोचक है। आइए जानते हैं कोहिनूर हीरे का इतिहास और इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।

कोहिनूर का इतिहास

Kohinoor हीरा सबसे पहले भारत के आंध्र प्रदेश स्थित गोलकुंडा की खदान में पाया गया था। गोलकुंडा खदानें अपने समय में दुनिया की सबसे समृद्ध हीरा खदानों में मानी जाती थीं। कोहिनूर का अर्थ होता है रोशनी का पर्वत और यह नाम इस हीरे की अपार सुंदरता और चमक को दर्शाता है।

पहले मालिक और स्वामित्व

कोहिनूर का पहला मालिक काकतीय वंश के शासक थे, जिन्होंने इसे अपने राज्य की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना। इसके बाद, यह हीरा कई राजवंशों और साम्राज्यों के हाथों में जाता रहा।

ब्रिटेन कैसे पहुंचा कोहिनूर

Kohinoor हीरा भारत से अफगानिस्तान, फारस (ईरान) होते हुए पंजाब के शासकों के पास पहुंचा। 1849 में, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पंजाब पर कब्जा किया, तो महाराजा दलीप सिंह ने इसे रानी विक्टोरिया को उपहार में दिया। तब से यह ब्रिटिश राजघराने का हिस्सा बन गया और आज भी यह ब्रिटेन के ताज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

विवादों का हिस्सा

Kohinoor हीरा हमेशा से विवादों में रहा है। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान सभी इस पर अपना अधिकार जताते हैं। कई बार इसे वापस लाने की मांग की गई है, लेकिन यह अभी तक ब्रिटेन के पास ही है। इस हीरे को लेकर विभिन्न देशों के बीच चल रहे विवाद इसे और भी ज्यादा रहस्यमय और ऐतिहासिक बना दिया हैं।

कोहिनूर हीरे का यह अद्भुत इतिहास न केवल इस हीरे की बेमिसाल खूबसूरती को दर्शाता है, बल्कि इसके पीछे की कहानी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। यह हीरा अब भी दुनिया भर के इतिहास प्रेमियों और संग्रहकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर है।

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