Inspiring Story of Kamlesh Meena :अलवर (राजस्थान) की रहने वाली कमलेश मीणा की जिंदगी एक मिसाल है। खुद की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर इतना काबिल बनाया कि आज उनमें से पांच बच्चे देश की न्यायिक सेवा में हैं। ये कहानी उन लाखों माताओं की है, जो खुद तो शिक्षा से वंचित रहीं, लेकिन अपने बच्चों की ज़िंदगी संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कम उम्र में शादी
कमलेश मीणा की शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी। वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ पाईं, उसके बाद पढ़ाई का मौका नहीं मिला। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने तय कर लिया था कि उनके बच्चों को पढ़ाई में किसी तरह की कमी नहीं होने देंगी।पति भागीरथ मीणा पहले से सरकारी नौकरी में थे, लेकिन बच्चों की पढ़ाई और परवरिश का बड़ा ज़िम्मा कमलेश ने खुद उठाया। घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ उन्होंने बच्चों को सही दिशा दी और पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।
सात बच्चों में से पांच बने जज
आज कमलेश के सात बच्चों में से
पांच न्यायिक अधिकारी हैं,
एक बेटी बैंक सेक्टर में है
और सबसे छोटा बेटा लॉ की पढ़ाई कर रहा है।
बेटी सुमन मीणा धौलपुर में, मोहिनी मीणा दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में, कामाक्षी सांगानेर कोर्ट में और मीनाक्षी मीणा कड़कड़डूमा कोर्ट में जज के तौर पर कार्यरत हैं।
बेटा निधिश मीणा दिल्ली में सीनियर जज की पोस्ट पर हैं।
मां के शब्दों में छुपी थी सीख
कमलेश हमेशा अपने बच्चों से कहती थीं। “ज़िंदगी एक बार मिलती है, इसे इज्जत से जियो या पछतावे के साथ।”
उन्होंने कभी भी बेटा-बेटी में फर्क नहीं किया। बेटियों को भी उतनी ही आज़ादी और हौसला दिया जितना बेटों को। इसी सोच का नतीजा है कि उनके सभी बच्चे आज समाज में ऊंचा मुकाम हासिल कर चुके हैं।
हर मां के लिए एक सीख
कमलेश मीणा की कहानी सिर्फ उनके परिवार की नहीं है, बल्कि ये हर उस महिला की प्रेरणा है जो खुद पढ़ नहीं पाई लेकिन अपने बच्चों को शिक्षित करने का सपना देखती है।
कमलेश ने दिखा दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो हालात कैसे भी हों, सफलता जरूर मिलती है।