सुसाइड का हब बन रहा कोटा, 16 साल के एक और छात्र ने की खुदखुशी, 4 महीने में 13वीं मौत

राजस्थान के कोटा शहर के जवाहर नगर थाना क्षेत्र के तलवंडी इलाके में NEET परीक्षा की तैयारी कर रहे एक छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र का नाम इकबाल था, जो बिहार का निवासी था और करीब 20 दिन पहले ही कोटा आया था। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

NEET Aspirant Suicide

NEET Aspirant Suicide : राजस्थान के कोटा शहर के जवाहर नगर थाना क्षेत्र के तलवंडी इलाके में एक और हृदयविदारक घटना सामने आई है। बिहार से नीट की तैयारी के लिए आया एक छात्र, इकबाल, ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मात्र 16 वर्षीय यह छात्र करीब 20 दिन पहले ही कोटा आया था और यहां के एक हॉस्टल में रह रहा था।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। छात्र की पहचान बिहार के दरियापुर गांव निवासी इकबाल के रूप में हुई है, जो ग्यारहवीं कक्षा का छात्र था।

छात्र उठाया खौफनाक कदम

इकबाल के चाचा आसिफ ने बताया कि 27 अप्रैल की रात को उसकी अपने परिवार से बातचीत हुई थी। उस दौरान इकबाल ने बताया कि वह पढ़ाई कर रहा है और बाद में बात करेगा। परिवार को ज़रा भी अंदेशा नहीं था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा। उसी रात उसने कमरे में फांसी का फंदा बनाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इकबाल ने आत्महत्या क्यों की। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और उसके परिजनों से भी पूछताछ जारी है। परिजन इस दुखद घटना से पूरी तरह स्तब्ध हैं।

लगातार बढ़ रही मृतक छात्रों की संख्याएं

कोटा देशभर में एक प्रमुख कोचिंग केंद्र के रूप में जाना जाता है, जहां हर साल हजारों छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहां छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है। केवल पिछले चार महीनों में 13 छात्रों ने आत्महत्या की है। साल 2024 में कुल 19 और 2023 में 29 छात्रों ने जान गंवाई थी।

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प्रशासन और कोचिंग संस्थान छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव को कम करने के लिए प्रयासरत हैं। हॉस्टल्स में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाए गए हैं और छात्रों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराया गया है। बावजूद इसके, आत्महत्या की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाया है। इस बढ़ते संकट ने अभिभावकों को कोटा भेजने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर कर दिया है।

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