विज्ञान की तरक्की ने आज दुनिया को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया हैं. लेकिन भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ वैज्ञानिको ने भी अपने घुटने टैक लिए हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया के एक ऐसे मंदिर के बारे में, जहा वैज्ञानिको ने भी अपने घुटने टैक भगवान की शरण ले ली हैं । ये एक ऐसा मंदिर हैं जहा भक्तों को प्रसाद नहीं मिलता, लेकिन कृपा ऐसी जो मरते हुए में भी प्राण डाल दे। यहाँ भूत प्रेत ,ऊपरी शक्ति के साये से मिलती है क्षण भर में निजात ,जुटते हैं यहाँ हजारो की कतार में श्रदालु। इस मंदिर की महिमा जितनी अधिक हैं ,उतने ही अधिक इसके नियम भी हैं ,जिसका पालन हर भक्त को करना ही पड़ता हैं। यही कारण हैं जो इस मंदिर को अनूठा दिखलाता हैं।
भूत-प्रेत से मुक्ति
भारत में सैकड़ो की संख्या में मंदिर हैं और हर एक मंदिर में कई रहस्य और राज़ छुपे हुए हैं। इन्ही में से एक मंदिर हैं ये। इस मंदिर के रहस्य से भी हम आपको रूबरू करवाएंगे लेकिन इससे पहले इस मंदिर का परिचय हो जाये। ये हैं राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहँदीपुर बाला जी मंदिर, जिसकी अनोखी हैं कहानी। मंदिर में हर दिन दो बजे प्रेतराज सरकार की दरबार में होती हैं भक्तो की पेशी। इस मंदिर का नजारा देख हर कोई हो जाता हैं दंग। सिर्फ बालाजी मंदिर की आरती में ही शामिल होकर छींटे लेने से मिल जाती हैं भूत प्रेत से मुक्ति। जिन भक्तो के ऊपर काली छाया और भूत प्रेत का साया होता है ,वही लोग यहाँ जाते हैं।
ये इलाज थर्ड डिग्री से कम नहीं होता
मेहंदीपुर बालाजी के दरबार में पहुंचते ही भूत प्रेत ,ऊपरी शक्ति और काले साये डर से काँप उठते हैं। यहाँ भूत को इंसान के शरीर से अलग करने के लिए बेहद कठोर दंड दिया जाता हैं। इन प्रक्रिया को आप अगर देख ले। तो आपके रोमटे खड़े हो जाएगे। क्योकि ये इलाज थर्ड डिग्री से कम नहीं होता। सबसे बड़ी बात इस मंदिर के प्रसाद को आप खा नहीं सकते और न ही किसी को दे सकते। यहाँ तक इस मंदिर के प्रसाद को आप घर पर ले जा भी नहीं सकते। बताया जाता हैं ऐसा करने से ऊपरी साया आपके ऊपर आ सकता हैं
इस मदिर की महिमा सालो बाद भी कायम हैं
इस मंदिर में बाला जी की मूर्ति में बायीं छाती में एक छोटा सा छेद हैं। जिसमे से लगातार जल बहता रहता हैं। कहा जाता हैं ये बालाजी का पसीना हैं ,यहाँ हनुमान जी को लड्डू ,प्रेतराज को चावल और भेहरु को उड़द का प्रशाद चढ़ता हैं। सुना हैं भूत प्रेत पीड़ित लोग जब ये प्रसाद खाते हैं तो वो अजीबो गरीब हरकते करने लगते हैं। इस मंदिर की महिमा देखकर वैज्ञानिको ने भी अपने घुटने टैक लिए हैं। शायद यही कारण है जिस वजह से इस मदिर की महिमा सालो बाद भी कायम हैं।