Chhattisgarh’s Most Expensive Rice Jeeraphool : छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है क्योंकि यहां धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसी प्रदेश के उत्तरी हिस्से, सरगुजा संभाग में एक खास किस्म का धान उगाया जाता है, जिसे ‘जीराफूल’ के नाम से जाना जाता है। इसकी खुशबू और स्वाद के कारण इस चावल की मांग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी ज्यादा है।
क्या है जीराफूल चावल की खासियत?
जीराफूल चावल का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी सुगंध है। जब इस चावल को पकाया जाता है तो इसकी खुशबू आसपास के घरों तक पहुंच जाती है। इस चावल का दाना बहुत ही पतला और छोटा होता है। स्वाद में हल्की मिठास होती है, जो इसे खास बनाती है। जीराफूल चावल को साल 2019 में जीआई टैग मिला था। इसका मतलब है कि यह चावल केवल छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में ही उगाया जा सकता है।
सेहत के लिए भी फायदेमंद
यह चावल सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है। जीराफूल चावल जल्दी पचने वाला होता है, इसलिए यह पेट पर भारी नहीं पड़ता। इसकी यही खासियत है कि भारत के साथ-साथ विदेशों में भी लोग इसे पसंद करते हैं।
खेती करने में लगता है ज्यादा समय और मेहनत
जीराफूल धान की फसल तैयार होने में करीब 120 से 130 दिन लगते हैं। यानी यह काफी समय लेने वाली फसल है। इसकी खेती के लिए खेतों में पानी ज्यादा चाहिए होता है, इसलिए इसे गहरे खेतों में लगाया जाता है ताकि पानी जमा रह सके। इस धान की खेती पूरी तरह जैविक तरीके से की जाती है। इसमें किसी भी तरह के केमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं होता, क्योंकि रसायनों के कारण इसकी खुशबू और स्वाद खराब हो जाते हैं।
क्यों होती है ऑर्गेनिक खेती?
अगर जीराफूल धान की खेती में केमिकल खाद डाली जाती है तो इसकी असली खुशबू और स्वाद खत्म हो जाते हैं। इसलिए किसान केवल जैविक खाद ही इस्तेमाल करते हैं, जिससे इसका असली स्वाद और खुशबू बनी रहती है।
कितने का मिलता है जीराफूल चावल?
छत्तीसगढ़ में उगाए जाने वाले धान में यह सबसे महंगा चावल है। बाजार में इसका असली जीराफूल चावल करीब 100 से 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है।