Kupwara Terror Attack: कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में 26 अप्रैल 2025 की रात को आतंकवादियों ने एक और कायराना हमले को अंजाम दिया, जब उन्होंने 45 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता गुलाम रसूल मगरे की हत्या कर दी। यह घटना कandi खास इलाके में हुई, जहां स्थानीय समुदाय के लिए मगरे की भूमिका महत्वपूर्ण थी। गुलाम रसूल मगरे को उनकी सामाजिक सेवा और कल्याणकारी कार्यों के लिए जाना जाता था। उनकी हत्या ने कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों की चिंता को और गहरा कर दिया है। घटना के बाद से स्थानीय लोग और सोशल मीडिया यूजर्स इस हमले की कड़ी निंदा कर रहे हैं, साथ ही सरकार से कड़े सुरक्षा कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
घटना की तफ्सील और प्रारंभिक जांच
गुलाम रसूल मगरे, जो Kupwara के कandi खास क्षेत्र में रहते थे, समाजिक कार्यों में संलग्न रहते हुए जरूरतमंदों के लिए काम करते थे। रात को जब वे अपने घर में थे, आतंकवादियों ने अचानक घर में घुसकर उन पर हमला किया और उन्हें गोली मार दी। गोली लगने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना के तुरंत बाद सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचे और इलाके को घेर लिया। प्रारंभिक जांच से यह पता चला है कि आतंकवादियों ने इस हमले को पूरी योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया, लेकिन हत्या का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
स्थानीय और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
Kupwara घटना के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया तेज़ी से सामने आई। कई स्थानीय नागरिकों ने इस कायराना हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि आतंकवादी अब सिर्फ सुरक्षा बलों को ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों को भी निशाना बना रहे हैं। एक यूजर ने सरकार से कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की, जबकि एक अन्य ने आतंकवादियों को पनाह देने वाले स्थानीय लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता जताई। कश्मीर में हाल के दिनों में हुई अन्य आतंकी घटनाओं को देखते हुए यह घटना चिंता का एक नया कारण बन गई है।
कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियाँ
गुलाम रसूल मगरे की हत्या, कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों की कड़ी का हिस्सा बन गई है। कुछ दिनों पहले पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी, जिससे क्षेत्र में और भी तनाव फैल गया था। अब मगरे की हत्या ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लोग मानते हैं कि सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
गुलाम रसूल मगरे Kupwara की हत्या न केवल उनके परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह कश्मीर के समाज के लिए भी एक चेतावनी है। इस घटना से यह साफ हो गया है कि आतंकवादियों का कोई धर्म या समुदाय नहीं होता और उनकी हरकतें सबके लिए खतरनाक हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं से बचा जा सके।