Covishield Vaccination: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) के ताजा अध्यन में इस बात का पता चला है कि ओमीक्रोने के घातक वेरिएंट के सामने कोविशील्ड वैक्सीन फीकी है। कोविशील्ड के दोनों डोज लगवाने वाले भी ओमीक्रोन के चपेट में आ सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि वे ओमीक्रोन से बचने के लिए बूस्टर डोज जरूर लगवाएं।
ICMR के मुताबिक ओमीक्रोन के घातक वेरिएंट BA.2 से टक्कर के लिए कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज लगवाना चाहिए, क्योंकि स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ कि वैक्सीन की खुराक ले चुके लोगों में एंटीबॉडी का स्तर छह महीने के बाद घटने लगता है।
वहीं कोविशील्ड के साथ-साथ कोवैक्सीन भी ओमीक्रॉन के खिलाफ सीमित सुरक्षा प्रदान करता है, जो म्यूटेशन के कारण एंटीबॉडीज की क्षमता हासिल कर चुका है। विशेषज्ञों की मानें तो बूस्टर डोज लगवाकर कोरोना की चौथी लहर से बचा जा सकता है।
वैक्सीन पर किए गए स्टडी में ये पाया गया कि इससे बचाव के लिए वैक्सीन का बूस्टर डोज जरूरी है। कोविशील्ड स्टडी में पाया गया कि टीका लगाए गए व्यक्तियों में बनी एंटीबॉडी को बेअसर करने की ओमिक्रॉन में क्षमता थी।
ICMR की मानें तो कोरोना संक्रमित क्षेत्र में सबसे अधिक म्यूटेशन के साथ ओमीक्रॉन तेजी से फैला। इसमें अन्य वेरिएंट की तुलना में डेल्टा शामिल था।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, ओमीक्रॉन के नए वेरिएंट्स सीक्वेंस सामने आ रहे हैं। अभी इसके 8 वेरिएंट्स मिले हैं जिनमें से एक सबसे ज्यादा फैला है।