India AI mission-भारत सरकार ने ‘मेड इन इंडिया एआई’ मिशन की शुरुआत की है। इसका मकसद है देश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में आत्मनिर्भर बनाना और दुनिया के बड़े देशों के साथ मुकाबला करना। इस मिशन के तहत, भारत अपना खुद का जेनरेटिव एआई मॉडल बनाएगा, जो अमेरिकी ChatGPT और चीनी DeepSeek जैसे मॉडलों को टक्कर देगा। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह मॉडल साल के अंत तक तैयार हो जाएगा।
क्यों खास है इंडिया एआई मिशन?
यह योजना भारत के वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और उद्योगों को अत्याधुनिक एआई तकनीक देने के लिए बनाई गई है। इसमें दुनिया के सबसे शक्तिशाली एआई चिप्स इस्तेमाल किए जाएंगे, जिनमें 1,480 NVIDIA H200 GPU, 12,896 NVIDIA H100 GPU और 742 MI325 और MI325X GPU शामिल हैं।
ये भी पढ़े-Union budget 2025 : कौन है भारत की अर्थव्यवस्था के रथ के सारथी, बजट बनाने वाली टीम के प्रमुख सदस्य
अगर तुलना करें, तो चीन के DeepSeek मॉडल को सिर्फ 2,000 GPU पर ट्रेनिंग दी गई थी, जबकि OpenAI का ChatGPT 25,000 GPU पर प्रशिक्षित हुआ था। इससे साफ है कि भारत का एआई मिशन काफी मजबूत है।
GPU प्रोवाइडर्स की भूमिका
इस योजना को सफल बनाने के लिए कई कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं। जियो प्लेटफॉर्म्स, टाटा कम्युनिकेशंस, योट्टा और नेक्स्टजेन डेटा सेंटर इस मिशन के बड़े सहयोगी हैं। अब तक 15,000 हाई-एंड GPU खरीदे जा चुके हैं, जिनमें से 10,000 GPU पहले से ही तैयार हैं, और बाकी जल्द ही जोड़े जाएंगे।
इस मिशन से रिसर्चर्स, स्टार्टअप्स और बिजनेस सेक्टर को आधुनिक तकनीक मिलेगी, जिससे वे बेहतर और तेज़ काम कर सकेंगे।
दुनिया की सबसे सस्ती एआई सुविधा
भारत सरकार ने इस मिशन को किफायती बनाने पर भी ध्यान दिया है। मंत्री वैष्णव के अनुसार, इंडिया एआई कंप्यूट सुविधा दुनिया की सबसे सस्ती होगी। भारत में एआई कंप्यूट का खर्च ₹115.85 प्रति GPU घंटा तय किया गया है, जबकि बाकी दुनिया में यही खर्च $2.5-$3 (₹200-250) प्रति GPU घंटा होता है।
खास बात यह है कि छात्रों और शिक्षाविदों को 40% की छूट मिलेगी, जिससे वे यह सुविधा ₹100 प्रति GPU घंटा से भी कम में इस्तेमाल कर सकेंगे।
भारत का अपना एआई मॉडल
भारत सरकार ने अपने खुद के फाउंडेशनल एआई मॉडल पर काम शुरू कर दिया है। यह मॉडल भारतीय भाषाओं और संस्कृति के अनुकूल होगा। इसके लिए सरकार ने डेवलपर्स को प्रस्ताव भेजने के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही, एआई मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए सरकार ने एक ओपन डेटा प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जहां अलग-अलग सेक्टर का डेटा उपलब्ध कराया जाएगा।
‘मेड इन इंडिया एआई’ मिशन भारत के लिए एक बड़ा कदम है। इससे न केवल देश तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि एआई के क्षेत्र में दुनिया से मुकाबला करने के लिए भी तैयार होगा। यह मिशन भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों के अनुसार एआई समाधान तैयार करेगा, जिससे देश के हर कोने में एआई तकनीक का फायदा पहुंच सकेगा।