India US trade: अमेरिका के टेरिफ वार में फंसा भारत आगे कुआं पीछे खाई 2 लाख करोड़ बचाई तो 5 लाख करोड़ गंवाई

अमेरिका 2 अप्रैल से नए टैरिफ लागू करेगा, जिससे भारत का 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार प्रभावित हो सकता है। भारत 2 लाख करोड़ रुपये का समझौता कर नुकसान कम करने की कोशिश में है।

India US trade: भारत के लिए यह आर्थिक रूप से बड़ी चुनौती है कि उसका 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार खतरे में पड़ जाए। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए रेसिप्रोकल टैरिफ ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। अब भारत यह कोशिश कर रहा है कि थोड़ा नुकसान सहकर बड़े नुकसान से बचा जाए। इसी कारण अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की तैयारी चल रही है।

समय की कमी भी एक बड़ी समस्या

2 अप्रैल से अमेरिका द्वारा नए टैरिफ लागू किए जाएंगे। इससे पहले भारत को कोई हल निकालना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भारत से अमेरिका को होने वाला 87% निर्यात प्रभावित होगा। इसकी कुल कीमत 66 अरब डॉलर यानी 5.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।

भारत कैसे करेगा समस्या का हल

अमेरिका की व्यापार टीम 25 से 29 मार्च तक भारत दौरे पर रहेगी। इस दौरान द्विपक्षीय व्यापार और टैरिफ से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। खबरों की मानें तो भारत अमेरिका से आने वाले 50% से अधिक सामान पर टैरिफ कम करने की योजना बना रहा है। इस आयात की कुल कीमत करीब 23 अरब डॉलर (1.97 लाख करोड़ रुपये) बताई जा रही है। भारत 5 लाख करोड़ रुपये का व्यापार बचाने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का समझौता करने के लिए तैयार हो सकता है। हालांकि, इस पर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

किन उत्पादों पर घटेगा टैरिफ

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत अमेरिका से होने वाले 55% आयात पर टैरिफ घटा सकता है। अभी इन उत्पादों पर 5% से 30% तक का आयात शुल्क लगाया जाता है। कुछ सूत्रों के अनुसार, सरकार एक समान टैरिफ कटौती करने की बजाय अलग-अलग उत्पादों और उनकी श्रेणियों के आधार पर टैरिफ में कमी कर सकती है। इसके अलावा, भारत एक नए टैरिफ सुधार प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है, जिससे न केवल अमेरिका बल्कि अन्य देशों के आयात पर भी असर पड़ेगा।

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अगर टैरिफ बढ़ा तो क्या होगा

अगर अमेरिका द्वारा घोषित नए टैरिफ लागू हो जाते हैं, तो भारत के मोती (पर्ल्स), मिनरल फ्यूल, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, दाल, चावल, आटा और दवाइयों (फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स) पर इसका सीधा असर पड़ेगा। इससे न केवल भारत को भारी नुकसान हो सकता है, बल्कि इंडोनेशिया, इजरायल और वियतनाम जैसे देश भारत का विकल्प बन सकते हैं। ये देश अमेरिका को सस्ते दामों पर समान उत्पाद निर्यात कर सकते हैं, जिससे भारत का व्यापार कमजोर पड़ सकता है।

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