One Nation One Election : एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर सरकार संसद में बिल लाने की तैयारी कर रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार तीन बिल पेश करेगी, जिनमें दो संविधान संशोधन बिल शामिल होंगे।
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये बिल सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में या बजट सत्र में लाएगी। इस संबंध में जल्द ही सरकार अपने स्तर पर निर्णय लेगी।
यह ध्यान देने योग्य है कि मोदी कैबिनेट ने एक देश, एक चुनाव पर बनी रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। समिति की रिपोर्ट में चुनाव के दो चरणों में आयोजन की सिफारिश की गई है। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराने की सलाह दी गई है, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का सुझाव दिया गया है।
प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक विधेयक स्थानीय निकायों के चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ जोड़ने से संबंधित होगा। इस विधेयक को पारित कराने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों का समर्थन प्राप्त करना आवश्यक होगा।
रामनाथ कोविंद की सिफारिश पर हुआ फैसला
प्रस्तावित दूसरे संविधान संशोधन विधेयक में अनुच्छेद 324A जोड़ा जाएगा, जिसमें लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान है। तीसरा विधेयक एक साधारण विधेयक है, जो दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर जैसे विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के कानूनों में संशोधन करेगा। इसमें संविधान संशोधन या राज्यों के समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। रामनाथ कोविंद कमेटी ने मार्च में सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं, जिन्हें हाल ही में केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।
यह भी पढ़ें : उमर अबदुल्ला दोनों सीटों से हारेंगे, चुनावी मैदान में जम्मू कश्मीर की धरती….
संविधान में संशोधन का बिल
इस विधेयक में विधानसभाओं के विघटन के प्रावधानों और अनुच्छेद 327 में संशोधन किया जाएगा, जिसमें “एक साथ चुनाव” शब्द जोड़ा जाएगा। इसके लिए 50 प्रतिशत राज्यों के समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी।
दूसरे संविधान संशोधन विधेयक के लिए, 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं का समर्थन जरूरी होगा। इसमें राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने की सिफारिश की जाएगी, जिसके लिए भी संशोधन की आवश्यकता है।
यह भी पढ़ें : बीजेपी नेता संगीत सोम वायरल ऑडियो पर विवादित बयान, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी साधा निशाना
संवैधानिक रूप से, चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग अलग निकाय हैं। चुनाव आयोग राष्ट्रपति, राज्यसभा, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राज्य विधान परिषदों के चुनाव कराता है, जबकि राज्य चुनाव आयोग नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव कराता है।