Space X: स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन कैप्सूल सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से जुड़ चुका है। इस कैप्सूल से चार नए अंतरिक्ष यात्री ISS पहुंचे हैं। अब यही यान वहां फंसे सुनीता विलियम्स और उनके साथी बैरी “बुच” विल्मोर को लेकर पृथ्वी पर लौटेगा। यह वापसी का काम कुछ ही घंटों में शुरू हो जाएगा।
9 महीने से ISS में फंसे हैं सुनीता और बुच
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जून 2024 में ISS गए थे, लेकिन उनका वापसी मिशन रुक गया। वे बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल से गए थे, लेकिन उसमें तकनीकी दिक्कतें (हीलियम लीक और थ्रस्टर की समस्या) आ गईं। इन समस्याओं की वजह से उनकी धरती वापसी संभव नहीं हो पाई।
कैसा है स्पेसएक्स का कैप्सूल?
स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन कैप्सूल एक आधुनिक अंतरिक्ष यान है, जिसे एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बनाया है। इसे नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत तैयार किया गया है। इसका मकसद अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित ISS तक ले जाना और फिर उन्हें वापस धरती पर लाना है।
इस कैप्सूल की खासियत
स्वचालित सिस्टम: यह ऑटोमैटिक डॉकिंग सिस्टम से लैस है, जिससे यह अपने आप ISS से जुड़ सकता है। जरूरत पड़ने पर इसे मैन्युअली भी कंट्रोल किया जा सकता है।
टच स्क्रीन कंट्रोल: पारंपरिक बटनों की जगह इसमें टच स्क्रीन सिस्टम है, जिससे इसका संचालन बेहद आसान हो जाता है।
आपातकालीन सुरक्षा: इसमें एडवांस पैराशूट और सुपरड्रैको इंजन आधारित इमरजेंसी एस्केप सिस्टम है, जो किसी खतरे की स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकाल सकता है।
बार-बार इस्तेमाल: यह फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष मिशनों की लागत कम होती है।
कैप्सूल क्यों कहा जाता है?
इसका आकार एक गोल और कॉम्पैक्ट संरचना जैसा है, इसलिए इसे ‘कैप्सूल’ कहा जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 8.1 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर होती है। यह पूरी तरह से बंद और सुरक्षित संरचना है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को बाहरी खतरों से बचाती है।
स्वचालित तरीके से काम करता है
क्रू ड्रैगन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह लॉन्च, कक्षा में प्रवेश और ISS के साथ डॉकिंग जैसी सभी प्रक्रियाएं खुद कर सके। हालांकि, जरूरत पड़ने पर अंतरिक्ष यात्री इसे मैन्युअली भी ऑपरेट कर सकते हैं। पृथ्वी वापसी के दौरान भी इसका पैराशूट सिस्टम खुद ही सक्रिय हो जाता है।
स्पेसएक्स को कितना भुगतान किया जाएगा?
नासा स्पेसएक्स को प्रति अंतरिक्ष यात्री सीट के लिए लगभग 55 मिलियन डॉलर (करीब 46 करोड़ रुपये) देता है। इस मिशन में चार यात्री हैं, यानी कुल 220 मिलियन डॉलर (करीब 183 करोड़ रुपये) का भुगतान होगा। इस राशि में ग्राउंड सपोर्ट, मिशन कंट्रोल, ईंधन और अन्य लागतें शामिल हैं।