Bengaluru : सोशल मीडिया पर कब कौन सा पोस्ट वायरल हो जाएगा, यह किसी को पता नहीं है। इस समय एक वीडियो तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि बेंगलुरु के पास एक गुफा से 188 वर्षीय बाबा को रेस्क्यू किया गया है।
वीडियो में दिखाया गया है कि दो लोग एक बुजुर्ग व्यक्ति को सहारा देकर चलने में मदद कर रहे हैं। इस व्यक्ति की सफेद दाढ़ी है और वह झुके हुए हैं। उनके हाथ में एक छड़ी भी है, जिसके सहारे वह अपना संतुलन बनाए रख रहे हैं।
वायरल हुआ वीडियो
वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर ‘Concerned Citizen’ नामक हैंडल द्वारा शेयर किया गया। इस पोस्ट ने तुरंत लोगों का ध्यान खींचा और इसे लगभग 30 मिलियन (3 करोड़) बार देखा गया। पोस्ट में लिखा गया था कि यह भारतीय व्यक्ति एक गुफा से हाल ही में मिला है और यह दावा किया जा रहा है कि उनकी उम्र 188 वर्ष है। यह अविश्वसनीय है!
🇮🇳 This Indian Man has just been found in a cave.
It’s alleged he’s 188 years old. Insane. pic.twitter.com/a7DgyFWeY6
— Concerned Citizen (@BGatesIsaPyscho) October 3, 2024
जांच में दावा पाया गया गलत
हालांकि, मूल वीडियो शेयर करने वाले ‘Concerned Citizen’ ने थ्रेड में यह स्पष्ट किया है कि 120 साल से अधिक उम्र का व्यक्ति मिलना हास्यास्पद है। एक अन्य उपयोगकर्ता निर्भय सिंह गुर्जर ने लिखा है कि यह संत सियाराम बाबा हैं, जिनकी उम्र 121 वर्ष है। वे हनुमान भक्त हैं और बिना चश्मे के 16 से 17 घंटे तक रामायण पढ़ते हैं।
कौन हैं वीडियो में दिख रहे बाबा ?
इस वीडियो में एक काफी बुज़ुर्ग बाबा को देखा जा सकता है। जो की सच है। हां, ये बाबा हैं और इनका नाम सियाराम बाबा है। जिनकी उम्र 121 साल है आश्रम से जुड़े योगेंद्र भाई ने बताया कि सियाराम बाबा की उम्र 94 वर्ष है और आश्रम का क्षेत्र महेश्वर परियोजना के डूब क्षेत्र में आता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस तरह के प्रसारित वीडियो को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना था कि बिना क्रॉस-चेक किए किसी भी प्रकार की जानकारी को फैलाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि बाबा अपने आश्रम में रहते हैं और अपने कार्य स्वयं करते हैं। सुबह 10:00 बजे से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है, जो रात 10:00 बजे तक जारी रहता है। इस दौरान बाबा रामायण का पाठ करते हैं और भक्तों और नर्मदा परिक्रमा करने वालों से मिलते हैं। सियाराम बाबा का नाम तब चर्चा में आया जब उन्होंने महेश्वर डूब परियोजना से मिले लगभग ढाई करोड़ रुपए को बड़वानी जिले के नागलवाड़ी स्थित शिखर धाम मंदिर को दान में दिया।