Jyoti Malhotra Case: FIR Based on Her Own Statement : पत्रकार ज्योति मल्होत्रा पर लगे जासूसी के आरोपों ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह केस काफी चर्चा में है। वहीं अब आरोपी पक्ष का कहना है कि पुलिस ने जिस आधार पर एफआईआर दर्ज की, वह खुद ज्योति का पुलिस कस्टडी में दिया गया बयान था। जो कानून के मुताबिक मान्य नहीं है।
वकील बोले ,खुद के बयान से FIR करना असंवैधानिक
ज्योति की ओर से केस लड़ रहे वकील कुमार मुकेश ने बताया कि 16 मई को हिसार पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया और अगले ही दिन 17 मई को गिरफ्तार कर लिया। दो बार रिमांड पर लिया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस डिजिटल सबूत अदालत में नहीं दिया गया।
मुकेश का कहना है कि एफआईआर में पुलिस ने लिखा है कि ज्योति ने खुद मान लिया कि वह पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रही थी। जबकि यह पुलिस कस्टडी में दिया गया कथित बयान था, जो संविधान के अनुच्छेद 20 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 व 23A के मुताबिक अदालत में मान्य नहीं होता।
कानून के जानकारों की आपत्ति
कई वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि किसी पत्रकार का अपने सूत्रों से बात करना या किसी विदेशी अधिकारी से मिलना आम बात है। अगर इस आधार पर किसी पर जासूसी का आरोप लगाया जाए, तो ये प्रेस की आज़ादी पर सीधा हमला माना जाएगा। वकील अरविंद दातार ने कहा कि “किसी की अपनी बात को ही आपराधिक आधार बनाना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।”
वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन का भी कहना है कि अगर कोई बयान खुद व्यक्ति का है, और उसमें कोई आपराधिक मंशा नज़र नहीं आती, तो केवल इसी आधार पर एफआईआर दर्ज करना न सिर्फ़ कानून का दुरुपयोग है, बल्कि यह डर का माहौल भी बना सकता है।
क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन है?
इस मामले ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि क्या देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है? पत्रकारों को अगर अपनी रिपोर्टिंग या बातचीत के लिए जासूसी का आरोपी बना दिया जाएगा, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।
सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल
अब तक इस केस पर सरकार की ओर से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही दिल्ली पुलिस ने अब तक यह स्पष्ट किया है कि एफआईआर में किस खास धारा के तहत कार्यवाही की गई है। यह भी साफ नहीं है कि कोई औपचारिक पूछताछ हुई या नहीं।
गिरफ्तारी से पहले कोई ठोस सबूत नहीं था
वकील ने दावा किया कि 15 मई को ज्योति को पूछताछ के लिए बुलाया गया और शाम को छोड़ भी दिया गया। लेकिन अगले दिन फिर से बुलाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, यानी गिरफ्तारी से पहले कोई ठोस सबूत नहीं था।
पाकिस्तान यात्रा का कारण भावनात्मक था
जब पूछा गया कि ज्योति पाकिस्तान क्यों गईं, तो उनके वकील ने बताया कि उनका परिवार बंटवारे के समय पाकिस्तान से भारत आया था। वो अपने पुश्तैनी घर को देखने और करतारपुर साहिब जाने के लिए धार्मिक वीजा लेकर गई थीं। वह एक ट्रैवल व्लॉगर हैं और पहले भी कई देशों की यात्रा कर चुकी हैं।
वीजा के लिए हुई थी मुलाकात
दानिश नाम के एक पाकिस्तानी अधिकारी से ज्योति की मुलाकात सिर्फ वीजा संबंधी सहायता के लिए हुई थी। वकील के अनुसार यह मुलाकात हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एक व्यक्ति की सलाह पर हुई थी। शादी या प्रेम संबंध की बातें महज अफवाह हैं।
कमाई का अनुमान,कोई ठोस सबूत नहीं
पुलिस का कहना है कि ज्योति की मासिक आमदनी करीब 1 लाख रुपये है। वकील ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि यह सिर्फ पुलिस का अंदाजा है, न कि कोई प्रमाणित तथ्य।
पुलिस का पक्ष,चार्जशीट में होंगे सबूत
पुलिस की ओर से आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि मोबाइल, लैपटॉप और बैंक ट्रांजैक्शन से कुछ जानकारियाँ मिली हैं, जो चार्जशीट में शामिल की जाएंगी। जिन धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है, उनमें 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है।