गुजरात में तापी जिले के सोनगढ़ तालुका के एक गांव में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश की गई। दरअसल प्राचीन हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर उसके स्थान पर स्थानीय ईसाइयों ने चर्च का निर्माण किया है। इस चर्च का नाम मरियम माता का मंदिर रखा है। बड़ी बात ये है कि जब हिंदू 2 अक्टूबर को मंदिर में पूजा आर्चना करने पहुंचे तो ईसाइयों ने हंगामा कर दिया और उन्हें वहां से जाने को कहा। इस हंगामे के बाद भारी पुलिस दल मौके पर पहुंचा।
हिंदू मंदिर बना मरियम माता मंदिर
ये मामला सोनगढ़ तालुका के नाना बंदरपाड़ा गांव का है। जहां पहाड़ी की चोटी पर गिधमाड़ी आया डूंगर माता का एक प्राचीन मंदिर था। लेकिन समय के साथ इस क्षेत्र में ईसाई आबादी के तेजी से बढ़ने के कारण पहाड़ी पर हिंदू लोगों की आवाजाही धीरे-धीरे कम हो गई। जिसके चलते ईसाई मिशनरियों ने प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर चर्च बना दिया। जिसे अब मरियम माता मंदिर कहा जाने लगा।
ईसाइयों ने लाठी-पत्थरों से किया वार
स्थानीय हिंदू नेता दिनेशभाई गामित ने बताया कि “मां का त्याहोर यानी नवरात्र चल रहे थे इस दौरान हम पूजा करने आए थे। लेकिन हमें स्थानीय ईसाइयों ने ऊपर जाने की अनुमति नहीं दी और हंगामा कर दिया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हंगामें के दौरान ईसाई बड़ी संख्या में अपने साथ लाठियां और पत्थर लेकर आए थे। उनका कहना है कि पूजा के लिए आए हिंदू पुजारी को भी ईसाईयों ने थप्पड़ मारा और मां के भोग की थाली को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। इसी बीच पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया।
98 प्रतिशत हिंदू बने ईसाई
वहीं स्थानीय हिंदुओं का कहना है कि वे सैकड़ों वर्षों से इस प्राचीन मंदिर में पूजा कर रहे थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते धर्मांतरण हिंदुओं की आबादी बेहद कम हो गई है। स्थानीय हिंदुओं की माने तो 98 प्रतिशत हिंदुओं ने ईसाई धर्म अपना लिया है। इलाके में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए है। जिस वजह से पहाड़ी पर हिंदुओं की आवाजाही कम हो गई है। आलम ये हो गया है कि सालों से गांव में सरपंच जैसे पदों पर ईसाई समुदाय का दबदबा रहता है।
गिधमाड़ी आया डूंगर माता’ के नाम पर धोखा
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि तापी जिले के सोनगढ़ तालुका की बंदरपाड़ा ग्राम पंचायत ने 2019 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें कहा गया था कि गिधमाड़ी आया डूंगर माता के मंदिर की कई वर्षों से पूजा की जा रही है। यहां लंबे समय से श्रद्धालुओं द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। फिलहाल इस मंदिर के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। इस प्रस्ताव में चर्च या किसी अन्य पूजा स्थल के बारे में नहीं बताया गया था।
इस प्रस्ताव का नाम गिधमाड़ी आया डूंगर माता’ नाम रखा गया। इसके बाद अनुदान प्राप्त किया गया। लेकिन इस जगह का इस्तेमाल चर्च बनाने के लिए किया गया है। देवी के मंदिर को तोड़ा दिया गया। जिसके कई अवशेष भी बरामद हुए है। फिलहाल हिंदू संगठन इस स्थान पर फिर से माता का मंदिर बनाने की मांग कर रहे है। उनका कहना है कि वें अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।