गाजियाबाद। एटा जिले में साल 2006 में फर्जी मुठभेड़ के दौरान बढ़ई की हत्या करने के मामले में गाजियाबाद स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश परवेंद्र कुमार शर्मा की अदालत ने सेवानिवृत्त SHO समेत नौ पुलिसकर्मियों को बुधवार को सजा सुनाई।
क्या था पूरा मामला ?
दरअसल 18 अगस्त 2006 को एटा जिले के सिढ़पुरा थानाक्षेत्र में बढ़ई राजाराम को डकैत बताकर पुलिसकर्मियों ने फर्जी मुठभेड़ में उसकी हत्या कर दी थी। जबकि उसके खिलाफ एक भी मुकदमा दर्ज नहीं था।
एटा फर्जी मुठभेड़ मामले में थानाध्यक्ष समेत 9 दोषी
गाजियाबाद CBI कोर्ट ने एटा में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में थानाध्यक्ष समेत 9 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। 2006 में सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में पेशे से बढ़ई को बदमाश बताकर पुलिस वालों ने उसका एनकाउंटर कर दिया था। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज सजा सुनाई। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक अनुराग मोदी ने बताया कि तत्कालीन एसओ सिढ़पुरा पवन सिंह, तत्कालीन उपनिरीक्षक श्रीपाल ठेनुआ, कांस्टेबल सरनाम सिंह, राजेंद्र प्रसाद, मोहकम सिंह को हत्या व साक्ष्य मिटाने के दोष में उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
CBI तक कैसे पंहुचा पूरा मामला ?
मृतक बढ़ई की पत्नी ने हाई कोर्ट में सीबीआई जांच कराने की अर्जी दायर की थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 1 जून 2007 को मामला सीबीआई को स्थानांतरित हुआ। 22 दिसंबर 2009 को सीबीआई ने उपरोक्त के खिलाफ हत्या, अपहरण और साक्ष्य मिटाने के आरोप में आरोप पत्र पेश किया था। मंगलवार को सीबीआई अदालत में उपरोक्त सभी को दोषी करार दिया गया।
इसके अलावा इन पांचों पर 33-33 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। जबकि साक्ष्य मिटाने के दोष में कांस्टेबल बलदेव प्रसाद, अवधेश रावत, अजय कुमार, सुमेर सिंह को पांच साल कैद की सजा सुनाते हुए प्रत्येक पर 11-11 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया।