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Rajasthan: बजट में बुजुर्गों को 10 हजार पेंशन देने की घोषणा कर सकते हैं

Rajasthan: बजट में बुजुर्गों को 10 हजार पेंशन देने की घोषणा कर सकते हैं CM गहलोत, क्या राहुल के इन 5 मंत्रों से रिपीट होगी सरकार…

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार बजट पेश करेगी। इस बजट के जरिए गहलोत सरकार जनता को लुभाने की भरपूर कोशिश करेगी, ताकि कांग्रेस पार्टी की सरकार राज्य में रिपीट हो सके। इसलिए बजट को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जा रहे है। अब अनुमान लगाया है कि गहलोत सरकार बुजुर्गों को 2 से 10 हजार रुपए मासिक पेंशन के रूप में दे सकती है। सीएम गहलोत आंध्रप्रदेश की तर्ज पर बजट में ये घोषणा कर सकते हैं। यह कवायद राहुल गांधी के द्वारा दिए गए 5 सुझावों को लेकर की जा रही है। जिन्हें बजट में शामिल करने की उम्मीद है।

बजट को लेकर हो चुकी हैं 11 बैठक

बता दें कि राजस्थान में एक महीने बाद बजट पेश किया जाएगा। पूरा प्रशासनिक अमला बजट पर काम कर रहा है। सीएम गहलोत इसे लेकर 11 बैठक ले चुके हैं।सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी द्वारा दिए गए पांच सुझाव आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार रिपीट करने  सहायक होंगे। बजट के जरिए कांग्रेस सरकार कैसी हो इसका मॉडल भी सबक सामने रखा जाएगा। आईए जानते है राहुल गांधी द्वारा दिए गए पांच सुझाव कौन से हैं।

आम आदमी को मिले स्वास्थ्य का अधिकार

राहुल गांधी ने सुझाव दिया कि प्रदेश के लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार दिया जाए। इसके लिए राज्य स्तर पर कानून बनाया जाएगा। बता दें कि अभी तक केवल असम में इस पर थोड़ा बहुत काम हुआ है। राजस्थान पूरी तरह से कानूनी जामा पहना कर बजट पेश करने वाला पहला राज्य बनेगा।

हालांकि फोकस हेल्थ पर सीएम गहलोत का हर कार्यकाल में रहा है। चिरंजीवी बीमा योजना, मुफ्त दवा और जांच योजना, मोहल्ला क्लिनिक व प्राइवेट अस्पतालों पर भी लगाम कसना आदि उस अधिकार में शामिल होंगे।

SC/ST की जनसंख्या के हिसाब से अलग से बजट आवंटित करने पर नियम

पिछले बजट में सीएम गहलोत ने एससी-एसटी समुदाय की जनसंख्या के हिसाब से बजट में अलग से राशि आवंटित करने की घोषणा की थी। लेकिन उस पर नियम अब तक नहीं बने। अब इनके नियम अगले 15-20 दिनों में बनाने पर काम चल किया जा है।

बता दें कि राज्य में करीब सवा करोड़ लोग SC/ST समुदायों से आते हैं। इसके अलावा 200 में से 28 विधानसभा सीटें व 25 में से 6 लोकसभा सीटें SC/ST के लिए आरक्षित हैं। राज्य के कुल 33 में से 15 जिलों में पहले, दूसरे और तीसरे नंबर का वोट बैंक भी SC/ST है। इसलिए राजस्थान में यह काम हुआ तो कांग्रेस अपना खोया हुआ वोट बैंक फिर से हासिल कर सकती है।

स्टूडेंट्स के लिए ई-लर्निंग के सरकारी कोचिंग सेंटर

पेरेंट्स बच्चों की स्कूल फीस से भी कई गुणा ज्यादा रूपये उनकी ट्यूशन-कोचिंग पर खर्च करते है। इस वजह से सरकार सभी 12 हजार ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर एक ई-लर्निंग सेंटर खोलेगी, जहां पर ऑनलाइन कोचिंग की व्यवस्था होगी।

पहले चरण में कक्षा 6, 8, 10 वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए तीन विषयों अंग्रेजी, विज्ञान और गणित के लिए ऑनलाइन कोचिंग होगी। ऑनलाइन कोचिंग को प्रतिष्ठित एजुकेशन ऐप के जरिए शुरू किया जाएगा। बाद में स्कूलों के शिक्षकों से ही ऑनलाइन शैक्षणिक सामग्री तैयार करवाई जाएगी। शहरों में ग्राम पंचायतों के बजाए यह ऑनलाइन कोचिंग नगर निगम-परिषद के वार्डों में खोले जाएंगे।

आंध्रप्रदेश की तर्ज पर सामाजिक पेंशन में हर साल बढ़ोतरी

राहुल गांधी को आंध्रप्रदेश का पेंशन मॉडल बहुत पंसद आया। पिछले दिनों दक्षिण भारत से जब राहुल की भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही थी, तब उन्हें इसकी जानकारी मिली थी। गहलोत सरकार अभी करीब 93 लाख 59 हजार लोगों को सामाजिक पेंशन दे रही है। अब यह संख्या बढ़कर करीब 2 करोड़ हो सकती है।

राज्य सरकार किसानों को पेंशन देने अलावा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी इस दायरे में लाएगी। आंध्रप्रदेश में सामाजिक पेंशन पूरे देश में सर्वाधिक (करीब 2000 रुपए मासिक) है। आंध्रप्रदेश में हर साल पेंशन में 500 रुपए मासिक की बढ़ोतरी होती है।

अगर 60 साल की उम्र में किसी को 2000 रुपए की पेंशन मिलती है, तो वह 5 से 10 साल में बढ़कर 4500-7000 रुपए हो जाती है। हालांकि 75 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को पेंशन 10 हजार रुपए तक ही मिलती है।

सरकारी अफसरों की जवाबदेही सुनिश्चित करना

इस पर कानून को बनाना कांग्रेस और गहलोत सरकार दोनों की प्राथमिकता में रहा है। लेकिन अब तक इस पर कानून नहीं बन सका। हाल ही राज्य सरकार ने इस कानून को लेकर जनता से सुझाव भी मांगे थे। अब इन सुझावों पर काम किया जा रहा है।

हालांकि चुनावी साल होने की वजह से सरकारी अफसरों-कर्मचारियों की लगाम कसने वाला कोई भी कानून बनाना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन राहुल गांधी की माने तो इसपर तेजी से काम हो रहा है। इस कानून के दो मुख्य बिंदु है जो सरकारी कामकाज की सूरत बदलने कारगर साबित होंगे।

ये बिंदु है, प्रत्येक सरकारी काम को करने के लिए किसी न किसी अफसर-कर्मचारी को जिम्मेदार बनाना। 30 दिन में काम पूरा न होने पर उस अफसर-कर्मचारी को नौकरी से हटाने तक की कार्रवाई करना

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