भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रुप में जगत प्रकाश नड्डा का 3 साल का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म होने जा रहा है। ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी की कमान किसके हाथों में सौंपेगी। अध्यक्ष पद की रेस में कई नाम सामने आए हैं। वहीं इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाते हुए एक बार फिर उन्हीं को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। दरअसल इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और इसके ठीक बाद 2024 का लोकसभा चुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगी।
नड्डा के कार्यकाल का विस्तार नहीं हुआ तो फिर…
वहीं बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक इसी महीने होने वाली है। संभावना है कि इसी बैठक में पार्टी अपने अगले अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दें। लेकिन अब सवाल ये है कि अगर नड्डा के कार्यकाल का विस्तार नहीं हुआ तो फिर पार्टी किस पर दांव लगाएगी। बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा।
इस साल उत्तर से दक्षिण और पूर्व तक 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। जेपी नड्डा एक सफल अध्यक्ष रहे हैं। ऐसे में संभावना अधिक है कि उन्हें ही अध्यक्ष पद की कमान दी जाए। लेकिन किसी वजह से उनकी जगह किसी और को चुनना पड़ा तो पार्टी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर अपना दांव लगाएगी। क्योंकि इससे पहले भी प्रधान को पीएम मोदी ने कई अहम जिम्मेदारियां दी हैं।
चुनावी राज्य में पार्टी के कई बड़े मंत्रियों को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी
वहीं इस साल राजस्थान में भी चुनाव होने हैं ऐसे में बीजेपी धर्मेंद्र प्रधान के अलावा पार्टी भूपेंद्र यादव के नाम का कार्ड भी खेल सकती है। बता दें कि राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पिछली बार भी अध्यक्ष पद के बड़े दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन पार्टी ने जेपी नड्डा का नाम फाइनल किया गया था।
चुनावों से पहले पार्टी संगठनात्मक स्तर पर भी कई बड़े बदलाव कर सकती है। इन्हीं बदलावों का आधार आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव रह सकता है। चुनावी राज्य में पार्टी के कई बड़े मंत्रियों को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
क्या कहता है बीजेपी पार्टी का संविधान
बीजेपी पार्टी के संविधान के अनुसार एक व्यक्ति लगातार दो बार अध्यक्ष बन सकता है। बता दें कि 2012 में नितिन गडकरी के लिए पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव करते हुए उन्हें लगातार दूसरी बार पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से उन्होंने खुद ही पद को लेने से मना कर दिया था। उस समय जो संसोधन हुआ था उसके मुताबिक पार्टी का कोई भी सदस्य लगातार 3-3 साल के लिए दो बार पार्टी अध्यक्ष बन सकता है।