‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’… कर्नाटक के बेंगलुरु के पास कोलार में राहुल गांधी ने 2019 में एक चुनावी सभा में ऐसा बयान दिया था। जिसके बाद खूब हल्ला मचा था। बयान के खिलाफ गुजरात की सूरत कोर्ट में मानहानि का केस भी दर्ज कराया गया था। अब करीब चार साल बाद आज इस मामले में गुजरात की सूरत कोर्ट फैसला सुना सकती है, राहुल गांधी भी कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मोजूद रहेंगे। इसलिए राहुल गुरुवार सुबह दिल्ली से सूरत के लिए रवाना हो चुके हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरो का सरनेम मोदी ही क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे वो नरेंद्र मोदी। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेश के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
वहीं अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? पूर्णेश भूपेंद्र सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे। वे दिसंबर में सूरत से दोबारा विधायक चुने गए हैं।
जानिए सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
राहुल इस मामले में पिछले बार 2021 में सूरत की कोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने अपना बयान भी दर्ज कराया था। पाहुल गांधी के वकील किरीट के मुताबिक, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने पिछले सप्ताह दोनों पक्षों की अंतीम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने के लिए 23 मार्च की तारिख तय की थी।
वहीं पिछली सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता बीजेपी विधायक के वकील ने कोर्ट में बताया था कि गांधी के कोलार भाषण वाली सीडी और पेन ड्राइव से साबित होता है कि कांग्रेस सांसद ने वास्तव में मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी, और उनके बयानों ने समुदाय को बदनाम किया। वहीं राहुल गांधी के वकील ने कहा था कि यह पूरी कार्यवाही ही त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 202 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि इस मामले में शिकायतकर्ता पीएम नरेंद्र मोदी को होना चाहिए था, न कि विधायक पूर्णेश मोदी को, क्योंकि गांधी के भाषण में मुख्य लक्ष्य पीएम मोदी थे।