नगर निकाय चुनाव के शुरूआती रुझान आना शुरू हो गए हैं। आगरा में बसपा ने वार्ड-एक से जीत का खाता खोल दिया है। बता दें कि बीते 34 साल से आगरा नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा है। अस बार ये जीत का क्रम आगे बढ़ेगा या फिर बसपा नंबर वन की रेस जीत लेगी। इसका फैसला बस कुछ ही देर में आ जाएगा। बीजेपी की हेमलता दिवाकर कुशवाह और बसपा की वाल्मिकी के बीच कड़ी टक्कर है। बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती अपना किसा बचाए रखना है। हालांकी बसपा ने वाल्मिकी समाज से उम्मीदवार उतारकर उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।
आगरा की राजनीति की बात करें तो वहां सबसे ज्यादा अहम दलित वोट ही निभाता है। हालांकि बसपा पिछले 3 दशक से इस सीट पर कब्जा नहीं कर पाई है। इस बार चुनावी समीकरण बदलते हुए बसपा ने लता को टिकट दिया वाल्मिकी समाज को बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है। इस कदम से बसपा ने बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी की. जाटव-वाल्मिकी और मुस्लिम वोटर्स पर ही बसपा को भरोसा था।
आगरा नगर निगम में सातवे राउंड समाप्त हो चुके हैं। बसपा के मेयर पद के प्रत्याशी लगातार आगे चल रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर हैं। वार्डों में बसपा के बीच बराबरी कता मुकाबला चल रहा है। ताजनगरी आगरा का बॉस कौन होगा, यह आज साफ हो जाएगा. उत्तर प्रदेश की पर्यटन नगरी में नगर निकाय का चुनाव संपन्न होने के बाद से सबकी निगाहें चुनाव परिणाम पर टिकी हैं. यहां बीजेपी और बीएसपी में कांटे की टक्कर है. आगरा नगर निगम चुनाव में इस बार कम मतदान प्रतिशत सभी राजनीतिक दलों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. इस बार शहर की सरकार चुनने के लिए महज 37.07 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. पिछली बार की तुलना में यह 3.50 प्रतिशत कम रहा. इस बार 14.49 लाख मतदाताओं में से 5,44,111 मतदाताओं ने वोट दिए. इस बार बागियों की वजह से समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर नगर निगम में इस बार त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल रही है।