पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में गुरमीत राम रहीम को पंचकुला की अदालत ने दोषी करार दिया। 17 जनवरी को राम रहीम की सजा का एलान किया जाएगा। खुद को भगवान बताने वाला राम रहीम एक निडर और निर्भिक पत्रकार से इतना डर गया था कि उसकी हत्या ही करवा डाली थी। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने 16 साल पहले ‘डेरा सच्चा सौदा’ के अंदर चल रहे राम-रहीम के घिनौने खेल को दुनिया के सामने रखा था। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति उन दिनों सिरसा से अपना सांध्य अखबार पूरा सच प्रकाशित करते थे। साध्वी का पत्र लोगों के बीच चर्चा का विषय बना तो उन्होंने साहस दिखाया और 30 मई 2002 को अपने अखबार में ”धर्म के नाम पर किए जा रहे साध्वियों के जीवन बर्बाद” शीर्षक से खबर छाप दी।
रामचंद्र छत्रपति ही वो बेखौफ पत्रकार थे, जिन्होंने 2002 में डेरा में होने वाले यौन शोषण से जुड़े एक गुमनाम खत को अपने अखबार में छापने की हिम्मत दिखाई थी। बलात्कारी राम-रहीम आज अगर जेल में है तो उसमें एक बड़ी भूमिका रामचंद्र छत्रपति ने निभाई थी। खबरों को लेकर रामचंद्र छत्रपति जूनूनी थे। वो हर छोटी-बड़ी खबर पर नजर रखते थे। सामने वाला भले ही कितना भी रसूखदार क्यों ना हो, रामचंद्र छत्रपति उसकी परवाह नहीं करते थे। डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी खबरों को भी वो अपने अखबार में लगातार छापते रहे। डेरा सच्चा सौदा के अंदर यौन शोषण की खबर को तमाम दबाब और धमकियों के बावजूद वो अपने पूरा सच नाम के अखबार में लगातार छापते रहे।
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रामचंद्र छत्रपति जब राम रहीम के सामने झुकने को तैयार नहीं हुए तो राम रहीम के गुर्गों ने हर तरह से उन्हें तंग करना शुरू किया। अपनी सुरक्षा को लेकर उन्होंने 2 जुलाई 2002 को एसपी को एप्लीकेशन भी दिया था, लेकिन आखिरकार डेरा के गुंडों ने उनकी जान ले ली। 24 अक्टूबर 2002 को शाम को घर के बाहर बुलाकर गुर्गों ने गोली चलाई। 28 दिन हॉस्पिटलाइज रहने के बाद नवंबर में रामचंद्र ने दम तोड़ दिया।
रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार के जरिए ये खुलासा भी किया था कि यौन शोषण मामले से घबराकर डेरा सच्चा सौदा के मैनेजरों ने साध्वियों और अभिभावकों ने शपथ पत्र लेना शुरू कर दिया। उस शपथ पत्र में डेरे में शामिल होने वालों से ये लिखवाया जाता था कि वो अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं।