[vc_row][vc_column][vc_column_text]उच्चस्तरीय चयन समिति के द्वारा CBI डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गुरुवार को आलोक वर्मा को पद से हटा दिया। इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते CBI की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए।

वर्मा ने कहा, ‘‘इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए। मैंने CBI की अखंडता को बनाए रखने की पूरी कोशिश की, जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। इसे केन्द्र सरकार और CVC के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया।’’

सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को जारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के IPS वर्मा को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया है। CBI निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है। आलोक वर्मा ने कहा कि समिति को CBI निदेशक के तौर पर उनके भविष्य की रणनीति तय करने का काम सौंपा गया था।  उन्होंने कहा, ‘‘मैं संस्था की ईमानदारी के लिए खड़ा रहा और यदि मुझसे फिर पूछा जाए तो मैं विधि का शासन बनाए रखने के लिए दोबारा ऐसा ही करूंगा।’

बता दें की, 1986 बैच के ओड़िशा काडर के IPS अधिकारी एम नागेश्वर राव (तत्कालीन संयुक्त निदेशक) को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात को CBI निदेशक के दायित्व और कार्य सौंपे गये थे। उन्हें बाद में अतिरिक्त निदेशक के रुप में प्रोन्नत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को दरकिनार कर दिया था लेकिन उन्हें उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की CVC जांच पूरी होने तक कोई बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]