[vc_row][vc_column][vc_column_text]18 सितंबर 2016 को चार आतंकवादियों ने उरी स्थित भारतीय सेना के स्थानिय कार्यालय में घुसकर गोलीबारी कर दी थी। आतंकियों का एक ही मकसद था कि वो सुबह पांच बजे जब भारतीय सेना के जवान सो रहे होंगे उस वक्त उनपर हमला करें, जिससे ज्यादा से ज्यादा निहत्थे भारतीय सेना के जवानों को मारा जा सके। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे। ये घटना 20 सालों में पहली बार कोई बड़ी घटना थी जो भारतीय सेना पर की गई थी।

इस हमले के बाद भारतीय सेना ने ठान लिया था कि वो हमारे शहीदों के शहादत को ऐसे ही नहीं जाने दे सकते हैं और सीमा पार बैठे आतंकियों को इसका सबक सिखाना होगा। भारत के तत्कालिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना को पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मारने के लिए एक फूलप्रुफ प्लान बनाने को कहा। इसके बाद तय हुआ कि वो पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे। लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक करना इतना भी आसान नहीं था, सेना को अपनी पूरी तैयारी के साथ इसे पूरा करना था।

भारतीय सेना ने अपने 25 बेहतरीन और जाबांज अफसरों की एक टीम तैयार की सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए। भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार थी पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के खात्मे को लेकर और इसे अंजाम देने का समय रखा गया 29 सितंबर की रात 3 बजे। लेकिन सेना के सामने सबसे ज्यादा अगर किसी बात को लेकर चिंता थी तो वो थी कि जिस रास्ते से हम गुजरेंगे, वहां स्थानिय नागरिक रहते हैं और उनके गांव में कुत्ते भी हैं जो सेना के ऑपरेशन में बाधा डाल सकते थे।

तो इसे ध्यान में रखते हुए एक तरकीब निकाली गई गई कि, जिस इलाके से सेना के जवान गुजरने वाले थे वहां चीता भी थे और चीता अक्सर कुत्तों का शिकार करते थे। ऐसे में कुत्ते रात के वक्त चीते के डर से बाहर नहीं निकलते थे। और इसलिए सेना के जवानों ने चीते के मल और पेशाब का इस्तेमाल किया और जहां-जहां से वो गुजरे वहां उन्हों मल और पेशाब को छिड़क दिया जिससे कुत्ते उनके पीछे ना आए और अंत में सेना ने बेहतरीन तरीके से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजम देकर करीब 39 आतंकियों को मार गिराया।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]