हिंदू सनातन धर्म में मकर संक्रांति त्यौहार का अपना ही विशेष महत्व है देश के अलग-अलग हिस्सों में संक्रांति को अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की आराधना होती है जिसे जम्मू कश्मीर और पंजाब में लोहड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से मनाया जाता है।
एक लीडिंग न्यूज़ पेपर को ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि सूर्य मकर संक्रांति पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। जिसके फलस्वरूप मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन से दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर आने लगता है। जिससे मौसम, राशि और समय में बदलाव आना शुरू हो जाता है। रात छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं।
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मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है। वहीं, सूर्य ग्रह धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति पर खरमास खत्म हो जाता है। इस वर्ष 14 जनवरी सोमवार को रात 7:52 पर सूर्य ग्रह धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस प्रकार मकर संक्रांति मंगलवार 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
भक्तजन मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और अपने इष्ट देवता की पूजा करके अपने सामर्थ्य के हिसाब से दान आदि करें तो संक्रांति बेहद फलदाई होगी। मकर संक्रांति के दिन चावल और काले उड़द की दाल की बनी खिचड़ी खाने और दान देना काफी शुभ माना जाता है इस दिन तिल से बने पकवान खाना फलदाई सिद्ध होता है।
जैन ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मण को तिल और गुड़ से बने व्यंजन काले तिल ऊनी वस्त्र कंबल मिठाई और अन्य वस्तुएं दान करने का विधान है। यह सभी वस्तुएं ब्राहमण को दक्षिणा के साथ दान करनी चाहिए जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव जी के मंदिर में तिल और चावल अर्पित करके तिल के तेल का दिया जलाने से घर में सुख समृद्धि आती है। इसके साथ ही बेलपत्र से अभिषेक भी किया जा सकता है। भगवान सूर्य का दिन होने के चलते श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्री आदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्त्रनाम श्री सूर्य चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए। सूर्य से संबंधित मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यशोदा ने मकर संक्रांति के दिन ही कृष्ण के जन्म के लिए उपवास रखा था। पुराणों के अनुसार सूर्य के मकर राशि में होने पर यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, महाभारत काल में अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामह ने गंगा तट पर 26 दिन तक सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का इंतजार किया था ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके।