कुंभ मेले का आगाज हो चुका है और लाखों-करोड़ो श्रद्धालु आस्था की नगरी में डुबकी लगाने पहुंचे हैं। 15 जनवरी से लेकर 4 मार्च तक चलने वाले इस कुंभ में कई प्रकार के साधु-सन्यासी देखने को मिलते हैं जो अलग-अलग तरीके से रहना पसंद करते हैं और उनकी दिनचर्या अलग होती है। इसबार कुंभ में नागा साधुओं की संख्या काफी ज्यादा है और नागाओं के बारे में कई प्रकार की मान्यता है।
आखिर नागा साधु कुंभ के दौरान ही ज्यादा क्यों नजर आते हैं और फिर पूरे साल वो कहां रहते हैं और क्या करते हैं ? ये बात सभी के मन में चलती होगी। तो हम आपको बता दें, कि नागाओं का मानना है कि जिस अवस्था में वो रहते हैं ऐसे में पूरे साल समाज के बीच ऐसे रह पाना काफी ज्यादा मुश्किल है। ऐसे में नागा साधु पूरे साल भगवान की पूजा अर्चना करते हैं या फिर हिमालय या घने जंगलों में जाकर तप करते हैं।
निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष मंहत रविंद्रपुरी ने बताया कि, पंजाब और उत्तराखंड में नागाओं के साथ अभद्रता हो चुकी है। ऐसे में सालभर नागा साधु या तो गमछा पहनकर रहते हैं या फिर आश्रम के अंदर ही रहना पसंद करते हैं। इसी तरह नागाओं के बारे में एक मानय्ता है कि, नागा साधु बनने के लिए व्यस्क होना जरुरी है। इसके साथ ही उनको गंगा की शपथ दिलाई जाती है कि वो परिवार में नहीं जाएगा और ना ही विवाह करेगा, समाज से अलग रहेगा और सिर्फ भगवान की पूजा करेगा। फिर परिवार वालों का पिंडदान उससे कराया जाता है और खुद का भी पिंडदान करने के बाद वो नागा साधु बन जाते हैं।