कुंभ मेले का शुभारंभ हो चुका है और देश के कोने-कोने से तमाम संप्रदायों के साधु इकट्ठा हुए हैं। जो श्रद्धालु कुंभ में शाही स्नान करने जा रहे हैं वो सब साधुओं का आशिर्वाद लेना बिल्कुल भी नहीं भूलते हैं। लेकिन एक ऐसे साधु भी वहां मौजूद हैं जिनसे आम जनमानस काफी ज्यादा डरे रहते हैं। उनको हम अघोरी के नाम से जानते हैं। उनके बारे में कई प्रकार की मान्यताएं हैं और लोग उनसे क्यों डरते हैं इसके बारे में हम आपको बताएंगे. ये भी बताएंगे कि क्या हमें उनसे डरने की जरुरत है ?
लोगों के बीच ऐसी अवधारणा है कि, अघोरी ज्यादातर श्मशान घाट में रहते हैं और जलती लाशों के बीच खाना खाते हैं। उनके बारे में लोगों के बीच ऐसी भी मान्यता है कि अघोरी नग्न घुमते हैं और इंसान मास भी खाते हैं, इंसानी खोपड़ी में खाना खाते हैं और दिन रात गांजा पीते हैं। हालांकि वो ऐसा क्यों करते हैं इसके पीछे भी एक कारण है। अघोरी मानते हैं कि अगर भगवान के दर्शन करने हैं तो सारी सुख-सुविधाएं और साथ ही जिन चीजों को आम इंसान नकार देता है उसे वो अपनाते हैं। वो बकरे के मांस और इंसानी मांस में भेदभाव नहीं करते हैं।
अघोरियों का मानना है कि, अगर वो दूसरों के द्वारा त्यागी हुई चीजों का सेवन करेंगे तो उनको परम चेतना प्राप्त हो सकता है। अघोरी पर आई एक किताब में लिखा है कि, ‘वो किसी भी चीज से नफरत नहीं करते हैं और वो हर चीज को इश्वर के अंश से जोड़कर देखते हैं। इसलिए वो जानवर के मांस और इंसानी मांस पर भेदभाव नहीं करते हैं और साथ ही पूरे दिन गांजा का नशा करने के बाद भी वो अपने पूरे होश में होते हैं और उनको उनके बारे में सबकुछ पता होता है।
अघोरियों के बारे में दो विशेषज्ञ मैलिंसन और छक्कर बताते हैं कि, बहुत ही कम अघोरी हैं जो अघोरी पद्धती का सही से पालन कर रहे हैं और जो अघोरी कुंभ में जुटते हैं वो स्वघोषित अघोरी होते हैं और वो कहीं से शिक्षा प्राप्त नहीं करते हैं। कुछ अघोरियों ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि उन्होंने मृत शरीर के साथ सेक्स किया है लेकिन गे सेक्स की स्वीकार्यता वो नहीं देते हैं। इतना ही नहीं जब कोई अघोरी मर जाता है तो उनके शरीर को दफना दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है।