अगर आप ट्रेन में सफर करते हैं और आपका कुल्हड़ की चाय पीने का मन है तो आपके लिए अच्छी खबर है। सफर के दौरान चाय को लेकर होने वाली आपकी शिकायत दूर होने वाली है। तकरीबन 15 साल बाद एकबार फिर कुल्हड़ की प्लेटफॉर्म और ट्रेनों में वापसी होने जा रही है। रेल मंत्रालय ने एकबार फिर प्लेटफॉर्म और ट्रेनों में कुल्हड़ में चाय बेचे जाने की बात कही है। रेलवे के इस कदम से अब आपको प्लास्टिक या फिर कागज के कपों में चाय पीने की मजबूरी से निजात मिलने वाली है। तकरीबन 15 साल पहले तत्काल रेल मंत्री लालू यादव ने रेलवे में चाय को लेकर कुछ ऐसी ही कवायद की थी।
रेल मंत्री पीयूष गोयल की सिफारिश पर फिलहाल वाराणसी और रायबरेली स्टेशनों पर कुल्हड़ में चाय मिलेगी। इसके बात इसे देशभर में लागू किया जा सकता है। रेलवे का मानना है कि इससे न केवल यात्रियों को ताजगी का अनुभव होगा, बल्कि कुम्हारों को रोज़गार भी मिलेगा। साथ प्लास्टिक प्रदूषण से भी निजात मिलेगा। रेलवे के ताजा सर्कुलर के मुताबिक स्थानीय टेराकोटा उत्पाद निर्माता अपने उत्पादों की मार्केटिंग कर सकेंगे।
दरअसल पिछले साल दिसंबर में खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ओर से रेल मंत्रालय को एक प्रस्ताव आया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि इन दोनों स्टेशनों के आसपास के इलाकों के कुम्हारों के लिए रोजगार पैदा करने के लिए स्टेशन और ट्रेनों में कुल्हड़ में चाय का वितरण किया जाए। केवीआईसी के अध्यक्ष वीके सक्सेना का कहना है कि ‘ हम कुम्हार को बिजली के चाक दे रहे हैं, जिसने उनकी उत्पादकता को 100 कप बनाने से बढ़ाकर एक दिन में लगभग 600 कप कर दिया है। उन्हें अपने माल को बेचने के लिए बाजार देना और आय उत्पन्न करना महत्वपूर्ण था।
बता दें कि 2004 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कुम्हारों के लिए रोजगार के ज्यादा अवसर मुहैया कराने के लिए ट्रेनों कुल्हड़ में चाय की शुरुआत की थी। हालांकि, रेलवे के प्रयासों से यात्रियों और विक्रेताओं दोनों को बहुत अधिक लाभ नहीं मिला। यात्रियों को कुल्हड़ की गुणवत्ता की शिकायत रहती थी।