[vc_row][vc_column][vc_column_text dp_text_size=”size-4″]कुंभ में आज आस्था का दूसरा महासंगम हो रहा है। ‘पौष पूर्णिमा’ के मौके पर कुंभ में पावन स्नान की प्रक्रिया चल रही है। हिंदू धर्म में पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन नदियों में आस्था की डुबकी लगाने का अधिक महत्व है। साथ ही आज साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है, जिस कारण प्रयागराज में चल रहे कुंभ में स्नान का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ गया है। संत, महात्मा, साधु, आम जनता, सब शाही स्नान की साधना कर रहे हैं। हर हर महादेव की गूंज कुंभ के कोने-कोने में फैल रही है। अनुमान है कि दूसरे शाही स्नान के मौके पर आज 50 से 80 लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा सकते हैं, जिसके लिए बीती देर रात से संगम तट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा है।
पौष पूर्णिमा के दिन कुंभ के स्नान का महत्व:
कुंभ में आज लगाई जाने वाली डुबकी मोक्षदायनी यानि वो डुबकी है, जो कुंभ को तीर्थराज कुंभ बनाती है। ये वो अमृत स्नान है, जिसका मौका भक्ति की शक्ति से ही मिलता है। इस पावन मौके पर डुबकी के लिए भक्त कई वर्षों तक इंतजार करते हैं। मान्यता है कि कुंभ में शुभ मुहूर्त के दौरान किया गया स्नान और दान जीवन को सुख शांति से भर देता है।
पहले शाही स्नान की तरह आज अखाड़ों का शाही स्नान नहीं है। कुंभ में अभी चार और शाही स्नान होने हैं। 4 फरवरी को मौनी अमावस्या, 10 फरवरी को बसंत पंचमी और 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 4 मार्च को महाशिवरात्रि पर स्नान के साथ कुंभ का समापन होगा। पौष पूर्णिमा के साथ ही आज से कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है। इसे आध्यात्म की राह का पड़ाव माना जाता है। खास बात ये भी है कि आज चंद्र ग्रहण भी हैं, जिससे आज के स्नान का महत्व बढ़ गया है,हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
सुरक्षा के इंतजाम:
कुंभ में सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। साढ़े 5 किलोमीटर के दायरे में 35 घाट हैं। गोताखोर, बोट पर गश्त करती टीम चप्पे-चप्पे पर नजर रखी हुई है। मेले में ड्रोन कैमरों और CCTV कैमरों की मदद से निगरानी रखी जा रही है। श्रद्धालुओं और शहरी लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। हाईवे पर भी रास्तों में कुछ परिवर्तन किए गए हैं।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]