शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी कॉस्मेटिक्स (cosmetics) कंपनियों में से एक लॉरियल पैरिस ने अपने स्किन प्रॉडक्ट्स में से ‘व्हाइटनिंग’, ‘लाइटनिंग’ और ‘फेयर’ जैसे शब्दों को हटाने का फैसला लिया। गुरुवार को ही हिंदुस्तान यूनिलीवर ने भी अपनी ब्रांड ‘फेयर एंड लवली’ में से ‘फेयर’ शब्द को हटाने की बात कही जिसके साथ उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी हर स्किन टोन(skin tone) का समर्थन करती है।
दरअसल पिछले महीने हुए अमेरीका के जॉर्ज फ्लॉइड कांड के बाद दुनियाभर में अश्वेत(black) लोगों के प्रति समान व्यावहार का प्रचार करते हुए आंदोलन चालू हो गए जिसके बाद त्वचा को निखारने हेतु क्रीम बनाने वाली कंपनियों के के खिलाफ़ भी लोगों ने सवाल उठाए क्योंकि ऐसे प्रोडक्ट्स गोरे अथवा श्वेत रंग को सुंदरता का प्रतीक बताते हैं और जो लोग प्राकृतिक रूप से गोरे नहीं है उन्हें भी क्रीम इस्तेमाल करके गोरा हो जाने की सलाह देते हैं। इसके बाद कॉस्मेटिक्स कंपनियों ने यह कदम उठाने चालू करे।
बता दें कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने अपने Neutrogena और क्लीन एंड क्लियर प्रॉडक्ट्स की बिक्री एशिया और मिडल ईस्ट में बंद करने का फैसला लिया क्योंकि वह डार्क स्पॉट्स(Dark spots) को कम करने में मदद करते हैं हालांकि कंपनी ने अपने बयान में कहा कि उनका मानना है कि स्वस्थ स्किन ही सुंदर स्किन है। हाल ही में अमेरिका की हेतल लखानी के ऑनलाइन पेटिशन (online petition) के बाद शादी डॉट कॉम (Shaadi.com) को भी अपनी वेबसाइट से स्किन टोन के आधार पर पार्टनर को ढूँढने का फीचर हटाना पढ़ा।
बॉलीवुड में भी कंगना रनौत, अभय देओल, रणबीर कपूर, काल्की कोचलिन और अनुष्का शर्मा जैसे अभिनेताओं ने जातिवाद के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए फेयरनैस क्रीम के विज्ञापनों में भाग लेने से साफ़ इंकार किया और लोगों ने प्रियंका चोपड़ा और यामी गौतम जैसे बॉलीवुड के सितारों की निंदा की जो ऐसे विज्ञापन में हिस्सा लेकर इस सोच को बढ़ावा देते हैं। साल 1919 में भारत में महिलाओं के लिए पहली गोरेपन की क्रीम ‘Afghan Snow’ को लॉन्च किया गया था और 2005 में इमामी कंपनी ने पुरषों के लिए ‘Fair Handsome’ को लॉन्च किया।
बता दें कि एप्पल(Apple) कंपनी ने 100 मिलियन डॉलर का बजट जातिवाद, शिक्षा और आपराधिक न्याय(Criminal Justice) में सुधार के लिए निकाला है। पेप्सीको(PepsiCo) कंपनी ने भी 400 मिलियन डॉलर का 5 year प्लान बनाया है जिसके माध्यम से वह अश्वेत(black) लोगों की सहायता और उनका समर्थन करेंगे। 2019 में भारत में फेयरनैस क्रीम बनाने वाली कंपनियों की बाज़ारी कीमत 450 मिलियन डॉलर थी। RSH ग्लोबल के चेयरमैन सुनील अग्रवाल का मानना है कि सिर्फ नाम बदलने से बदलाव नहीं आ सकता क्योंकि क्रीम के ingredients तो बदले ही नहीं जाएंगे और यह पहले की तरह ही काम करेगी लेकिन बदलाव तो तब आयेगा जब लोग इन्हें लेना बंद कर देंगे और कंपनियां बेचना बंद कर देंगी।
Gaurang Goel