मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल के अपने छठे संबोधन में देश को गरीब कल्याण योजनाओं में विस्तार के बारे में बताया तथा अनलॉक-1 में कोरोना के प्रति देशवासियों की लापरवाही पर गंभीरता से विचार करने को कहा। 8 जून से शुरू किए गए अनलॉक-1 में जहाँ बाज़ारों को आंशिक रूप से खोल दिया गया था, देश में लोगों के कोरोना वायरस से बचाव करने के तरीकों में लापरवाही देखने को मिली। सार्वजनिक स्थानों और गाड़ियों में मास्क या रुमाल बांधने का नियम बनाने के बाद भी लोगों के चलान कटते हुए दिखाई दिए जिस पर प्रधानमंत्री ने आम लोगों को लापरवाह लोगों को रोकने और टोकने को कहा।

Bulgaria के प्रधानमंत्री का उदाहरण देते हुए कि कैसे उन पर चर्च में बिना मास्क पहने जाने पर 13,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चाहे वो गाँव का प्रधान हो या देश का प्रधान, कोई भी कानून से बड़ा नहीं और बाहर निकलने से पहले मुंह ढकना अनिवार्य है। उनका यह भी मानना है कि समय पर और सम्वेदनशीलता से फैसला लेने पर संकट से लड़ने की शक्ति बड़ जाती है। उन्होंने बताया कि समय से किए गए लॉकडाउन के चलते लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी जिस कारण भारत में कोरोना महामारी की स्थिति अन्य देशों की तुलना में ज़्यादा स्थिर है हालांकि उन्होंने स्थानीय प्रशासन को और सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

बता दें कि प्रधानमंत्री रोजगार योजना के लिए पौने 2 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है जिस पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान था, “पिछले 3 महीनों में 20 करोड़ गरीबों के जन धन खातों में 31 हज़ार करोड़ रुपये डायरेक्टली पहुंचाये गए जिसमें 9 हज़ार करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों मे 18 हज़ार करोड़ रुपये जमा कराए गए। गाँव के लिए चलाई गई पीएम रोज़गार योजना मे 50 हज़ार करोड़ रुपये का खर्चा आया।”

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के ज़रिए 3 महीने से 80 करोड़ गरीब लोगों को 3 महीने से राशन मुफ्त प्रदान कराया जा रहा था जिसमें प्रत्येक परिवार हर महीने 5 किलो(kg) गेहू या चावल, 1 किलो दाल और 1 किलो चना मुफ़्त बाटा जा रहा था जिसको प्रधानमंत्री ने अन्य देशों की आबादी से तुलना करते हुए बताया कि, “यह अमरीका की ढाई(2.5) गुना आबादी और ब्रिटेन की 12 गुना आबादी जितने लोगों को राशन बांटने के बराबर है।”

मोदीजी ने अपने संबोधन में बताया कि वर्षा ऋतु के दौरान एग्रीकल्चर सेक्टर(Agriculture Sector) में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज़्यादा काम होता है और साथ ही अनेक त्यौहार भी एक के बाद एक आने लगते हैं जैसे गुरु पूर्णिमा, सावन, 15 अगस्त, रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, दीपावली आदि जिनके कारण ज़रूरतें और खर्चे दोनों मे बढ़ोतरी होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को नवंबर के आखिर तक बढ़ा देने का अहम फैसला लिया है।

इस फ़ैसले पर प्रधानमंत्री मोदी का कहना था कि, “इस विस्तार में 90,000 करोड़ से ज़्यादा का खर्चा होगा जिसमें पिछले 3 महीने के भी जोड़ दे तो यह खर्चा 1.5 लाख करोड़ हो जाता है। इसके साथ ही एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की भी योजना को लाया जा रहा है जिसका सबसे ज़्यादा फायदा उन गरीबों को होगा जो रोजगार के लिए दूसरे शहरों में जाकर काम करते हैं।”

माइग्रेन्ट वर्कर्स के लिए यह अहम योजना का एलान करते हुए प्रधानमंत्री ने दो वर्गों के लोगों को भारत सरकार की इन सभी योजनाओं का प्रमुख रूप से श्रेय दिया। इनमे पहला वर्ग है किसान जो देश के अन्नदाता है और दूसरा वर्ग है ईमानदार टैक्स पेयर्स (Taxpayers) जिनकी बदोलत ऐसी अहम योजनाओं को लाया जा सका और भारत एकलौता ऐसा देश बना जहा इस स्तर पर गरीबों की मदद की जा रही हो। इसके साथ देशवासियों से प्रधानमंत्री ने लोकल के लिए वोकल होने को कहा और कन्टेनमेन्ट ज़ोन पर ज़्यादा ध्यान देने की बात कही।

Gaurang Goel