गुरुवार देर रात में कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बकेरू गाँव में पुलिस और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गैंग के बीच हुई झड़प में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 4 घायल है जबकि पुलिस ने गैंग के 2 आदमियों को ढेर किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी शहीदों के परिवार को 1 करोड़ रुपये, असाधारण पेंशन और प्रति परिवार एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का एलान करते हुए कानपुर पुलिस, एसटीएफ समेत 100 अन्य टीमों को विकास दुबे को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए तैनात कर दिया है। विकास दुबे के नेपाल भागने की आशंका के चलते चौबेपुर गाँव समेत नेपाल के 120 किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर भी सुरक्षा बड़ा दी गई।
दरअसल 2 दिन पहले मोहनी निवादा गांव के राहुल तिवारी ने चौबेपुर थाने पर विकास दुबे के खिलाफ़ उसके ससुर लल्लन शुक्ला की ज़मीन गैरकानूनी तरीके से अपने नाम कराने के जुर्म में रिपोर्ट लिखने की मांग की थी जिसे एसओ विनय तिवारी ने नकार दिया था हालांकि बुधवार को वह जब विकास दुबे के घर पूछताछ के लिए गया तो विकास ने उसके साथ हाथापाई की और वह चुपचाप थाने लौट गया। राहुल तिवारी का यह भी कहना था कि बुधवार को ही कोर्ट में केस दर्ज कराने के बाद विकास के गुंडों ने उसका अपहरण करके उसे केस वापस लेने के लिए विवश करने हेतु बहुत मारा हालांकि रात मे वह किसी तरह वहा से भाग निकला। गुरुवार को सीओ देवेंद्र मिश्रा ने उसकी रिपोर्ट दर्ज की जिसके बाद शिवराजपुर, चौबेपुर और बिठूर थाने की पुलिस दुबे के घर दबिश करने गई।
बता दें कि थानेदार विनय तिवारी पुलिस के संग गए तो थे लेकिन वह हमला होने से पहले ही वहा से भाग निकले और छान बीन के बाद तिवारी के फोन रिकॉर्ड में विकास दुबे का भी नंबर पाया गया जिसके बाद उन्हें सस्पैंड कर दिया गया है। दरअसल विकास दुबे कानपुर का नामी बदमाश है जिस पर 71 गंभीर सेक्शन के केस दर्ज है। 1992 में प्रॉपर्टी के विवादों के चलते दुबे ने गांव के दलित युवक चुन्नालाल को मारकर अपराध की दुनिया में कदम रखा जिसके बाद सन् 2000 मे 40 बीघा ज़मीन के विवाद पर ताराचंद इंटर कॉलेज के प्रिन्सिपल को विकास ने मौत के घाट उतार दिया। मामला ठंडा होने से पहले ही 2001 मे उसने कानपुर के शिवली थाने के अंदर घुसकर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की 6 गोलियां मारकर हत्या कर दी।
बता दें कि चौबेपुर कोतवाली में हिस्ट्रीशीटर के बोर्ड पर विकास के साथ उसके तीन भाई अतुल, दीपू और संजय दुबे का भी नाम है। 27 साल की उम्र में विकास के खिलाफ चौबेपुर मे ही 60 केस दर्ज थे हालांकि 2007 से 2012 के बीच उसके खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं हुई जबकि धमकियां, मारपीट और वसूली के किस्से जिले मे आए दिन हो रहे थे। उस समय बसपा की सरकार थी और विकास का सिपाहियों और दरोगा के साथ उठना बैठना बहुत था जिसके चलते उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाना नामुमकिन हो गया था। 2016 मे सपा के नेताओं से भी उसकी खूब बातचीत रहीं जिस बीच उसने अपनी पत्नी रिचा को जिला पंचायत का सदस्य भी बनवा दिया हालांकि 2017 मे संतोष शुक्ला की हत्या के आरोप में पुलिस ने उसको पकड़ने की कोशिश की थी लेकिन वो लखनऊ फरार हो गया था।
विकास दुबे एक किसान का बेटा है। उसकी माँ सरला देवी ने अपने बयान में कहा, ‘अच्छा होगा कि अगर वह खुद सरेंडर कर दे। धोखे से भागता रहा तो पुलिस उसे एनकाउंटर में मार देगी। मैं तो कहती हूं कि पुलिस पहले पकड़ लो और फिर एनकाउंटर कर दे। उसने बहुत बुरा किया है।’ उनका मानना है कि उसने उनके परिवार का नाम खराब किया है। बता दे कि जिस JCB से विकास दुबे के लोगों ने पुलिस का रास्ता बंद करा था गुरुवार रात को, उसी से पुलिस ने विकास का बिठूर स्थित घर भी ढहा दिया है।