हाथरस (Hathras Case) में दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप व् रहस्यमयी तरीके से परिवार की मर्ज़ी के खिलाफ उसका अंतिम संस्कार करने को लेकर पूरा देश गुस्से में है। लेकिन वहीँ दूसरी तरफ सियासत भी कम नहीं होती नज़र आ रही है। आपको बता दें इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से स्वत: संज्ञान से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ की तरफ से लिए गए एक्शन के बावजूद भी लोगों का गुस्सा थमता नजर नहीं आ रहा है। वहीँ कानूनी पक्ष को लेकर आपको बता दें की इस केस में निर्भया पक्ष के दोनों वकील यानी की एपी सिंह और सीमा कुशवाहा फिर से आमने सामने होंगे।
क्षत्रिय महासभा देगी एपी सिंह की पूरी फीस
पूर्व मंत्री मानवेन्द्र सिंह ने इस सम्बन्ध में एक पत्र भी लिखा है उनकी तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया की आरोपियों का केस एपी सिंह लड़ेंगे आपको बता दें एपी सिंह ने निर्भया केस में निर्भया के बलात्कार के आरोपियों का कानूनी बचाव किया था। और मंत्री मानवेन्द्र सिंह ने कहा है की उनकी फीस क्षत्रिय महासभा से इकठ्ठा कर के दी जाएगी। इस पत्र में मानवेन्द्र सिंह ने आगे कहा है की हाथरस केस में एससी-एसटी कानून का पूर्ण रूप से दुरुपयोग कर सवर्ण समाज और खासकर राजपूत को बदनाम किया जा रहा है। इसलिए हाथरस केस में मामले को दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए एपी सिंह को वकील नियुक्त किया जा रहा है।
सीमा कुशवाहा ने दिलाई थी निर्भया के दोषियों को फांसी
आपको बता दें की सीमा कुशवाहा ने दिल्ली 2012 में चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार जिसमे पीड़िता लड़की की बाद में मौत हो गयी थी इस मामले में उन्होंने पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाया था व् चारो आरोपियों को फांसी दिलवाई थी जिसमे मुकेश सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर, पवन कुमार गुप्ता और विनय कुमार शर्मा को फांसी दी गई थी।
क्या है पूरा मामला ?
पूरा मामला आपको बता दें की हाथरस (Hathras Case) जिले के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को चार लोगों ने 19 साल की लड़की से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने लड़की की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई फिर रहस्यमयी तरीके से उसकी लाश को घर वालों की मर्ज़ी के बिना ही जला दिया गया आगे आपको बता दें की चारों आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ इस घटना के बाद पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगाते हुए मीडिया समेत सभी की एंट्री पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि एसआईटी जांच चल रही है। इसके बाद योगी सरकार की तरफ से इलाके के इंस्पेक्टर, डीएसपी और एसपी को सस्पेंड कर दिया गया और सीबीआई जांच की सिफारिश की गई। लेकिन, डीएम पर कोई कार्रवाई न होने को लेकर चौतरफा सवाल उठाया जा रहा है। इस बीच, हाथरस आरोपियों के बचाव में कई सभाएं हुई हैं और कहा जा रहा है कि उन्हें फंसाया जा रहा है , लेकिन सीबीआई जांच के आदेश के बाद भी लोगों में न्यायिक प्रक्रिया को लेकर गुस्सा बना हुआ है।