भारत में हर चुनाव में जातिय समीकरण बहुत मायने रखता है। चाहे चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का। इतना ही नहीं सरपंच जैसे छोटे चुनावों में भी जातिय समीकरण बहुत मायने रखता है।भारत में वोट जात-पात पर ज्यादा पड़ता है। राजनैतिक पार्टी भी टिकट जातिय समीकरण को देखकर ही देती है। जब चुनाव सूबे में हो और जातिय समीकरण को नजरअन्दाज कर दिया जाए, यह संभव ही नहीं है। बिहार जैसे राज्य में जातिय समीकरण ही चुनाव को जीतने की चाबी है। यहाँ वोट देने का पैमाना ही जाति है।
चुनावों में जातिगत दलदल से कोई अछूता नहीं है। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या कोई भी अन्य दल। बिहार में तो स्थानीय दल भी सबसे ज्यादा है जो हमेशा से ही जाति की राजनीति को खुला मंच देती है। लालू की राजद, पासवान की लोजपा, नितीश की जेडीयू और मुकेश साहनी की विकासशील पार्टी, इन दलों की पहुँच जाति के नाम पर ही बनी हुई है।
बिहार में सर्वाधिक अगड़ी जातियां है। जिसकी आबादी तकरीबन 20 फीसदी है। जिसमें राजपूत सर्वाधिक है। उसके बाद ब्राह्मण और भूमिहार भी अच्छी तादाद में बिहार में निवास करते है। मुसलमानों और दलितों की तादाद 15-15 फीसदी है। यादवों की तादाद भी 14 फीसदी है जो राजद का कोरवोट बैंक है। इसीलिए राजद जातिय समीकरण बैठाने में बिहार में अव्वल पर है।
कौनसी जाति, कौनसी पार्टी के साथ
कुर्मी जाति का समर्थन जेडीयू के खातें में रहता है। जिसकी बिहार में अच्छी खासी तादाद है। मुस्लिम और यादव की सहानूभूति राजद के साथ रहती है। हालांकि जेडीयू के साथ भी मुस्लिमों और अगड़ी जातियों का समर्थन है। ओबीसी भी जेडीयू के साथ जुड़ा हुआ है। जिसकी आबादी बिहार में कुल 52 फीसदी है।
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भाजपा के साथ सवर्ण मतदाता जुड़ा हुआ है जो भाजपा के पक्ष में वोट करता है। सवर्ण मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से ऊपर है। रामविलास पासवान की पार्टी के साथ दलित समुदाय का झुकाव है। उपेन्द्र कुशवाह कोइरी समुदाय से आते है जो राज्य में 6.5 फीसदी है। मुकेश साहनी मल्लाह समाज से आते है।
2015 का चुनावी समीकरण
2015 के विधानसभा चुनावों के नतीजों की बात की जाए तो महागठबंधन को 43 फीसदी वोट मिले थे। इसमें सबसे ज्यादा लालू की पार्टी राजद को 18.4 फीसदी, नितीश की जेडीयू को 16.8 फीसदी और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले थे। पिछ्ले चुनाव में जेडीयू महागठबंधन में शामिल थी। लेकिन इस बार एनडीए में रहकर भाजपा के साथ चुनाव लड़ रही है। पिछ्ले विधानसभा चुनावों में एनडीए को 33 फीसदी वोट मिले थे।