बिहार के औरंगाबाद लोकसभा सीट में पड़ने वाली इमामगंज विधानसभा में एक बार फिर मामला रोचक होने वाला है। इस बार फिर सामना दो दशक विधायक रहे उदय नारायण सिंह और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी के सामने है। लेकिन इस बार उदय नारायण सिंह जेडीयू से नहीं बल्कि लालू की राजद से अपनी किस्मत आजमा रहे है। उदय नारायण सिंह साल 1990,2000, 2005, 2010 से 2015 तक जेडीयू से यहाँ से विधायक बने और फिर विधानसभा स्पीकर भी।
पिछ्ले विधानसभा चुनावों में जीतन राम मांझी ने उदय नारायण सिंह को तकरीबन 30000 वोटों से हराया था। उस समय जीतन राम मांझी हम के उम्मीदवार थे और उदय नारायण सिंह जेडीयू के। मांझी उस समय पहली बार इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे और 15 साल से विधायक रहे उदय नारायण सिंह को चुनाव हरा दिया।
इस बार जीतन राम मांझी एनडीए से उम्मीदवार है और उदय नारायण सिंह महागठबंधन की राजद से। इस बार इन दोनों उम्मीदवारों के बीच 28 अक्टूबर को पहले चरण के मतदान के दौरान जोरदार सियासी टक्कर देखने को मिलेगी।
पाँच बार जीत चुके है उदय नारायण सिंह
पूर्व विधानसभा स्पीकर इमामगंज सीट से पाँच बार विधायक रह चुके है। उदय नारायण सिंह इस सीट से 1990, 2000, फरवरी 2005 फिर नवंबर 2005 और 2010 से विधायक रह चुके है। लेकिन 2015 में 6 वी बार विधायक बनने का सपना मांझी ने अधूरा रख दिया।
साल 1957 में बनी इमामगंज विधानसभा सीट
इस सीट पर सबसे पहले चुनाव साल 1957 में हुआ था। तब अंबिका प्रसाद सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर कांग्रेस की चंद्रावती देवी को हराया था। 1962 में दूसरे चुनाव में अंबिका प्रसाद सिंह ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के नाते चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवार जगलाल महतो को चुनाव हराया था। अंबिका प्रसाद सिंह यहाँ से लगातार दो बार विधायक रहे। 1967 विधानसभा चुनावों में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गई थी। तब से लेकर आज तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। पहाड़ों से घिरे होने के कारण आज भी यहाँ मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
झारखंड सीमा से घिरा होने के कारण कई इलाकों में यहाँ नक्सलियों का बोलबाला है। यहां मांझी, मुस्लिम, कोयरी, यादव और कुशवाहा वोटरों की तादाद काफ़ी अच्छी है। फ़िलहाल इस लोकसभा से भाजपा के सुशील कुमार सिंह यहां से सांसद है।