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Home बड़ी खबर

पिता की तरह दलितों को एकजुट रख पाना चिराग पासवान को बड़ी चुनौती

by
2021/01/07
in बड़ी खबर
पिता की तरह दलितों को एकजुट रख पाना चिराग पासवान को बड़ी चुनौती

रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में दलित राजनीति एक दम से बदल गई है। पहला मौका होगा जब बिहार चुनाव में दलित मतदाता चुनाव के पटल पर तो होगा लेकिन बिहार का सबसे बड़ा दलित नेता नहीं होगा। ऐसा गत 45 वर्षो में पहली बार हो रहा है। इस बार लोजपा अकेले ही पूरे बिहार में चुनाव लड़ रही है, लेकिन उनके सबसे बड़े नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद चुनाव मैदान में खुद अकेली पड़ गई है।

कौन होगा दलित नेता

इस बार दलितों का नेता कौन होगा और क्या लोजपा रामविलास पासवान के बिना भी अपनी जमीन बचा सकती है। इसका चुनाव नतीजों के बाद ही मालूम पड़ेगा। लेकिन लोजपा को उस मुकाम पर सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। लोजपा का प्रदर्शन यदि कमजोर रहता है तो यह तय है कि एक नए दलित नेता का उदय होगा। जो बिहार में दलित नेता के नाम पर राज करेगा।

हालांकि नितीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपने पाले में कर अपनी जमीन तलाशनी शुरु कर दी है। इससे नितीश कुमार को फ़ायदा ही होगा। हर नेता की नजर और पार्टी का मकसद दलितों के 16 फीसदी वोटों पर सेंध मारने की है। जो इन वोटों में सेंध मारने में कामयाब हो जायेगा, वही दलितों का अगला नेता होगा।

रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा और चिराग पासवान के लिए परेशानियां और चुनौतियां ओर बढ़ गई है। हो सकता है लोजपा सहानूभूति के नाम पर वोट बटोर ले। लेकिन लोजपा को दलित पार्टी का तबका भी बरकरार रखना और चिराग पासवान को दलित नेता के रुप में भी सेट करना। केवल पासवान के वोट बटोरने से दलित नेता नहीं बन सकता। उसके लिए बाकी दलित जातियों के वोट भी जुटाने होंगे।

यह भी पढ़े:-कितना बदलेंगे लोजपा के हालात रामविलास पासवान जी निधन के बाद

बिहार में लगभग 50 सीटों पर पासवान वोटों का बोलबाला है। लिहाजा चिराग पासवान इन वोटों को अपनी तरफ खींचने में सफल होते है और अन्य दलित जातियों के वोटों में सेंध मारने में कामयाब हो जाते है, तो वे अपने आप को नए दलित नेता के रुप में स्थापित कर सकते है। लेकिन इसका चुनाव परिणामों के बाद ही पता चल सकता है। चुनावों में कहना आसान रहता है लेकिन कर पाना मुश्किल। कई बार चुनाव परिणाम, जमीनी हकीकत को भी फ़ैल कर देते है।

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इस बात से कोई दो मत नहीं कि रामविलास पासवान बिहार में बहुत बड़े नेता थे। उनका कद का इससे ही मालूम पड़ता है कि वे अटल से लेकर मोदी तक की हर सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे। उनकी कार्यकर्ताओं तक सीधी पहुँच थी। चिराग पासवान को उनकी जगह लेनी है तो अपने पिता के लक्ष्य कदम पर चलना होगा।

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