चाहे क्रिकेट का मैदान हो या राजनीति का दंगल, इन दोनों जगह अपनी टीम और खुद का प्रदर्शन ही मायने रखता है। लोजपा को अपने नेता रामविलास पासवान का जाना बहुत अखरेगा। लेकिन चिराग पासवान को भी लोजपा को अपने दम पर बड़े मुकाम पर ले जाने में महारथ हासिल है। जिस प्रकार चिराग पासवान ने पिछ्ले दिनों दूसरी पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं को अपने पाले में किया है। उससे साफ है कि वे आने वाले समय में बिहार के मुख्यमंत्री बनने में भी सक्ष्म है।
बाला साहब ठाकरे के जाने के बाद यही लगा था कि अब शिवसेना की राजनैतिक जमीन खत्म हो जाएगी। लेकिन उनके बेटे उद्धव ठाकरे आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री है। इतना ही नहीं आंध्रप्रदेश में YSR रेड्डी के जाने के बाद लगा था कि अब उनकी राजनैतिक विरासत को कोई आगे नहीं ले जा सकता। लेकिन आज उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में काबिज है।
यह सत्य है कि किसी भी पार्टी के जन्मदाता साथ नहीं हो तो काम मुश्किल हो जाता है लेकिन उनके लक्ष्य कदम पर चलकर विरासत को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इसमें चिराग पासवान अव्वल है। चिराग पासवान मोदी को अपना आदर्श मानते है और आज के समय जिस पर प्रधानमंत्री मोदी का हाथ हो उसे किसी ओर चीज को सोचने और चिन्ता करने की भी जरुरत नहीं है। इससे यह तय है कि यदि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में यदि लोजपा अच्छा प्रदर्शन कर देती है तो उनको बिहार में राजनैतिक जमीन मिल जायेगी और केंद्र में पिता की जगह मंत्री पद भी। जिससे दोनों जगह उनकी पार्टी राजनैतिक जमीन को ओर मजबूत कर लेगी।
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वैसे भी लोजपा का एनडीए में अपना स्थान मजबूत है। क्योंकि बिहार में भाजपा के सामने अपना कोई उम्मीदवार नहीं और केंद्र में सत्ता से कोई टकरार नहीं। लोजपा और चिराग पासवान को यदि रामविलास पासवान के बिना राजनैतिक जमीन को ओर मजबूती देनी है तो भाजपा की छत्रछाया में रहने से ही फ़ायदा है और यह बात चिराग पासवान भलीभांति जानते है।