प्रशिक्षण संगठन की सक्रियता और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का जब कॉकटेल हो जाता है तो युगों के रिकॉर्ड भी ध्वस्त हो जाते हैं इसकी बानगी देखने को मिली एमएलसी चुनाव में 48 साल का ओपी शर्मा राज अब ध्वस्त हो चुका है।

मेरठ सहारनपुर शिक्षक सीट पर पिछले 8 साल से माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने अपना सियासी किला मजबूत कर रखा था कोई भी उन्हें अभी तक नहीं हरा पाया लेकिन इस बार मिनी चाणक्य यानी सुनील बंसल की चुनावी रणनीति से पूरे उत्तर प्रदेश के एमएलसी चुनाव में बीजेपी की एकतरफा आंधी चलती दिखाई दी।

दरअसल शिक्षक और स्नातक एमएलसी चुनाव किसी और पार्टी को लड़ना ही नहीं आता था लेकिन शिक्षक संघ के अध्यक्ष ओपी शर्मा और स्नातक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर इस सियासी चक्रव्यूह को रचने के महारथी थे इसी वजह से ओपी शर्मा का 48 साल और स्नातक में पुंडीर का 52 साल से ज्यादा वर्चस्व रहा।

भाजपा के मिनी चाणक्य सुनील बंसल ने इस बार बहुत ही बारीकी से एमएलसी चुनाव पर अपनी निगाह काबिज़ कर दी बहुत ही संगठित तरीके से एमएलसी चुनाव की रूपरेखा तैयार की गई ठीक वैसे ही जैसे किसी बड़े चुनाव की तैयारी की जाती है।

इस चुनावी चौसर को जीतने के लिए सुनील बंसल ने सांसद, पूर्व सांसद, विधायक और जिन लोगों ने पूर्व में एमएलसी चुनाव जीते हैं उन लोगों को अपनी टीम में शामिल किया इसके अलावा कार्यकर्ताओं की एक विशेष टीम बनाई जिन्होंने एक जागरूकता अभियान चलाया उस जागरूकता अभियान की निगरानी में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर के नेताओं को लगाया गया इसके अलावा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने जिन सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बहुत ही अच्छे तरीके से ग्राउंड स्तर तक किया है योजनाओं का खूब प्रचार प्रसार किया गया शायद सरकार ने उतना प्रचार प्रसार उन योजनाओं का नहीं किया गया होगा जितना कि एमएलसी चुनाव में एक-एक घर तक यह बताने की कोशिश की गई कि भाजपा केवल वादे और दावे नहीं करती बल्कि उनका एग्जीक्यूशन भी भाजपा की जिम्मेदारी है और जब संगठन सक्रिय हो गया सरकारी योजनाएं बहुत ही शानदार तरीके से ग्राउंड पर सफल हो रही हैं और उसके बावजूद कोई चुनाव ना जाए यह तो असंभव लगता है।

भाजपा से एमएलसी मेरठ खंड की सीट से जीतने वाले श्री चंद खुद इस रणनीति के कायल हैं शुरुआत में उनको खुद विश्वास नहीं था कि जिस मैदान में वह कूद रहे हैं वहां उनकी विजय निश्चित है या नहीं लेकिन जैसे जैसे उन्होंने संगठन की सक्रियता देखी वैसे वैसे उनको अपनी जीत के बारे में पूर्ण विश्वास हो गया उत्तर प्रदेश में करीब 6 एमएलसी सीटों पर शिक्षक संघ का दबदबा रहता था लेकिन इस बार दबदबा भाजपा का है तीन एमएलसी सीटें लगभग क्लियर हो चुकी हैं।

भाजपा उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल हर चुनाव को बहुत गंभीरता से लेते हैं उन्हें मालूम था कि शिक्षक संघ की 6 एमएलसी सीटें और 5 स्नातक एमएलसी सीटों पर भाजपा को अगर अपना दबदबा स्थापित करना है तो उसकी तैयारी भी करनी होगी करीब 3 साल पहले कानपुर में इसका ट्रायल सुनील बंसल ने कर दिया था जिस शिक्षक एमएलसी सीट पर 52 साल से ओपी शर्मा गुट का कब्जा था उसे भाजपा ने जीत लिया था बस वही से मिनी चाणक्य सुनील बंसल ने तय कर लिया था कि 3 साल बाद जब इन सभी सीटों पर चुनाव होंगे तो वहां किस तरह से चुनावी चौसर सजानी और विजय पताका लहरानी है।

भाजपा के बारे में यह भी कहा जाता है की मुख्य चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी जाती है लेकिन जब बारी उपचुनावों की आती है तब इतनी मेहनत नहीं की जाती जिसकी वजह से भाजपा को उपचुनावों में कई बार करारी हार का सामना करना पड़ता है इसका ताजा उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सरकार बनी और खुद सीएम और डिप्टी सीएम अपने क्षेत्र के उपचुनाव हार गए।

जिस की प्रमुख वजह अति आत्मविश्वास और चुनाव में सक्रिय ना होना मुख्य तौर पर था लेकिन भाजपा के संगठन मंत्री और मिनी चाणक्य सुनील बंसल ने इस बार के उपचुनावों में जिस तरह से संगठन को सक्रिय किया और सीएम की योजनाओं को ग्राउंड तक प्रचारित प्रसारित किया उसका नतीजा जीत के जश्न के रूप में देखने को मिला।

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह जो कि वर्तमान में देश के गृहमंत्री हैं वह भी सुनील बंसल के इस हुनर से वाकिफ हैं इसीलिए उन्होंने अपने खास सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश में भेजा था और बंसल ने भी शाह के विश्वास को डगमगाने नहीं दिया।

और अब शाह ने अपने मिनी चाणक्य सुनील बंसल को मिशन बंगाल पर भेजा है। आलाकमान को मालूम है कि मिशन बंगाल की सफलता का राज संगठन की सक्रियता और उसके काम पर टिका है और इस फन में सुनील बंसल को महारत हासिल है। जातिगत सामाजिक तौर पर संगठन को कैसे मजबूत करना है इसका नमूना अब बंगाल में देखने को मिलेगा फिलहाल उत्तर प्रदेश के एमएलसी चुनाव में जिस तरीके से भाजपा ने अपनी जीत का परचम लहराया है उससे सरकार और संगठन को एक बार फिर से खुश होने का मौका मिला है और यह भी सच है कि जब सरकार और संगठन मिलकर काम करते हैं तो उसके नतीजे निश्चित ही सुख देने वाले होते हैं।

देश में जब यूपीए वन और यूपीए-2 की सरकार थी तब सरकार और संगठन का झगड़ा सार्वजनिक था कांग्रेस और उस वक्त की सरकार में जुड़े जितने भी दल थे उनका सरकार से कोई तालमेल नहीं था उस वक्त भी कहा जा रहा था कि अगर सरकार और संगठन मिलकर काम नहीं करेंगे तो नतीजे उनके हक में नहीं होंगे एक यह भी मुख्य कारण है की देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी आज हाशिए पर जा रही है।

भारतीय जनता पार्टी में यह सबसे खास बात है कि सरकार और संगठन में अगर थोड़ी बहुत अनबन भी चल रही है तो चुनावों के वक्त वह दिखाई नहीं देती।

News1India

Editor-in-Chief

Anurag Chaddha