आजकल नशे की आदत युवाओं को तेजी से अपनें आगोश में लेती जा रही हैं लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर (University of Rochester Medical Center – URMC) ने अपनी स्ट्डीस में इसको लेकर एक नया खुलासा किया हैं. जिसके मुताबिक सिगरेट, हुक्का, बीड़ी, चिलम या ई-सिगरेट पीने वाले लोगों को दिमाग में कोहरा जमा हो जाता है. ये कोहरा ठीक वैसे ही होता है जैसे सर्दियों में शहरों में जमा होता है. वह भी प्रदूषण के साथ. इस कोहरे का नुकसान ये है कि आप ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, याद्दाश्त कमजोर होने लगती है और निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है.
यहीं नहीं बल्कि अगर 14 साल से कम उम्र बच्चे अगर स्मोकिंग शुरू करते हैं तो उनके दिमाग में मेंटल फॉग यानी दिमागी कोहरा जमने का खतरा ज्यादा रहता है. किसी भी प्रकार की स्मोकिंग करने वाले स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में सही फैसले लेने में कमजोर होते हैं. URMC में क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल साइंस इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर और इन स्ट्डीज में शामिल डोंगमेई ली ने कहा कि हमारी स्टडी से ये बात स्पष्ट होती है कि स्मोकिंग का कोई भी तरीका चाहे वह पारंपरिक तंबाकू का हो या किसी अन्य तरीके का जैसे वैपिंग. ये सभी दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं. ये स्टडी जर्नल टोबैको इंड्स्यूड डिजीस एंड प्लॉस वन में प्रकाशित हुई है.