सरकार ने बदलते हुए सिनेमा प्रारूपों के साथ देश में फिल्मों के विकास के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। उसने देश में फिल्म विकास से जुड़ी चार अहम इकाइयों/संस्थाओं का विलय भारतीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) में कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन ऑफ एनएफडीसी का विस्तार करके इसमें अपनी चार मीडिया इकाइयों–फिल्म डिवीजन, फिल्म समारोह निदेशालय, भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और बाल फिल्म सोसायटी के विलय को मंजूरी दे दी है।
भारत में साल में तीन हजार से अधिक फिल्में बनती हैं। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता है। हालांकि इस काम में मुख्य रूप से निजी निर्माता और फिल्म कंपनियां प्रमुख हैं और सरकारी योगदान बहुत थोड़ा है। अब सरकार फिल्म क्षेत्र में अपनी प्रतिभागिता बढ़ाना चाहती है। इसलिए अपनी चार प्रमुख इकाइयों का उसने एनएफडीसी में विलय कर दिया है। फिल्मों से जुड़े कई लोग इन इकाइयों के कामकाज से असंतुष्ट थे और यहां भ्रष्टाचार आरोप भी सामने आए थे। संबद्ध इकाइयां में समन्वय का अभाव होने की बात भी समय-समय पर सामने आती थीं और तमाम शिकायतें सरकार के पास थीं। खास तौर फिल्म डिवीजन और भारतीय बाल फिल्म सोसायटी अपनी भूमिका सही ढंग से नहीं निभा रही थीं। यहां नए विचारों और नई योजनाओं का स्पष्ट अभाव था। जबकि इनका लक्ष्य देश में फिल्मों के विकास में योगदान देना तय किया गया था। माना जा रहा है कि एनएफडीसी में विलय से इनकी कार्यप्रणाली सुधरेगी और देश में एक फिल्म नीति बनाने में भी बहुत मदद मिलेगी।
फिल्म डिवीजन की स्थापना 1948, भारतीय बाल फिल्म सोसायटी की स्थापना 1955, भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार की स्थापना 1964 और फिल्म समारोह निदेशालय की स्थापना 1973 में की गई थी। एनएफडीसी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। इसे भारतीय फिल्म उद्योग के संगठित, दक्ष और समन्वित विकास की योजना बनाने और उसे बढ़ावा देने के लिए 1975 में स्थापित किया गया था। इन मीडिया इकाइयों के विलय की मंजूरी के साथ इनकी परिसम्पत्तियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण के बारे में सलाह देने और विलय की प्रक्रिया के पहलुओं को देखने के लिए एक लेन-देन सलाहकार और कानूनी सलाहकार की नियुक्ति को भी मंजूरी दी गई है। सरकार ने कहा है कि एकरूपता का कार्य करते समय सभी संबद्ध मीडिया इकाइयों के कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी और किसी भी कर्मचारी को हटाया नहीं जाएगा।
क्या करेगी नई संस्था:
सरकार के अनुसार नई संस्था की परिकल्पना में नए समय में फिल्मों के बदले हुए रूप पर ध्यान दिया जाएगा। भविष्य में नई संस्था का काम फिल्मों/ओटीटी मंचों की विषयवस्तु, बच्चों से संबंधित विषयवस्तु, एनीमेशन, शॉर्ट फिल्मों और वृत्तचित्रों (डॉक्युमेंट्री) सहित अपनी सभी शैलियों की फीचर फिल्मों में भारतीय सिनेमा का संतुलित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करना रहेगा।
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