राजनीति में धारणा बेहद महत्वपूर्ण होती है। यह नेता और यदि वह सत्ता में है तो उसकी सरकार की ओर से किए गए कार्यों और व्यक्तिगत आचरण से बनती है। इसका एक उदाहरण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हैं। वह अपने त्वरित, कड़े और लीक से हटकर लिए जाने वाले फैसलों के लिए जाने जाते हैं। इसका एक हालिया उदाहरण मुरादनगर में श्मशान गृह की छत गिर जाने से हुए हादसे के बाद उनकी ओर से लिए गए फैसलों से हुई। उन्होंने दोषी माने गए ठेकेदार के साथ अधिकारियों की गिरफ्तारी तो कराई ही, उन पर रासुका भी लगाने की घोषणा के साथ ही यह भी कहा कि पूरे नुकसान की वसूली उनसे ही की जाएगी। स्पष्ट है कि इस कड़े फैसले की व्यापक चर्चा हुई, लेकिन उन्होंने कई ऐसे कदम भी उठाए हैं, जो दूरगामी प्रभाव डालने वाले रहे, लेकिन उनकी अपेक्षित चर्चा नहीं हुई। आज यदि उत्तर प्रदेश में बिजली की किल्लत कोई मुद्दा नहीं है तो इसका श्रेय योगी सरकार को जाता है। पिछले चुनाव में तो बिजली एक बड़ा मुद्दा था, लेकिन अब जब गांव से लेकर शहरों तक 18 से 24 घंटे मिल रही है तो विजली मुद्दा नहीं। यह स्वाभाविक है, लेकिन यह रेखांकित होना चाहिए कि योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ी समस्या का समाधान किया। इसी तरह यह रेखांकित होना चाहिए कि उनकी सरकार और खुद उनके व्यक्तिगत प्रयासों से पूर्वांचल जापानी इंसेफ्लाइटिस के कहर से मुक्त होने को है।
बीते एक दशक में इस बीमारी के कहर से हजारों बच्चे मारे गए। विपक्ष में रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ लगातार इस पर आवाज उठाते रहे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जापानी इंसेफ्लाइटिस के चलते 2016 में 36 केस 9 मौतें, 2017 में 51 केस 9 मौतें, 2018 में 47 केस 3 मौतें, 2019 में 32 केस 5 में, 2020 में 6 केस 1 मौत रिपोर्ट की गई। ये आंकड़े यही बताते हैं कि इंसेफ्लाइटिस पर काबू पाने में सफलता हासिल हुई है। खुद योगी जी ने बताया था कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफ्लाइटिस का कहर कैसे कम हुआ? स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत घर-घर शौचालय बनने का परिणाम यह हुआ कि गंदगी पर लगाम लगी और उससे होने वाले इंसेफ्लाइटिस पर काबू पाने में सफलता मिली। स्वच्छता को लेकर जागरूकता, दस्तक अभियान और वृहद स्तर पर टीकाकरण कराना किसी भी सरकार के लिए आसान काम नहीं था, लेकिन योगी सरकार ने अपने ही पुराने संकल्प को साकार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। नतीजा सामने दिखने लगा। जो काम 1977 2016 तक नहीं हुआ, वह काम अब पूरा होता दिख रहा है और जापानी इंसेफ्लाइटिस से कहर जनित खबरें इस बार मीडिया से गायब सी रहीं। योगी सरकार का एक काम और ऐसा काम है, जिस पर एक तरह से ध्यान ही नहीं दिया गया, जबकि उसकी चर्चा देश भर में होनी चाहिए थी। हाल में नोएडा मेट्रो ने एलजीबीटी समुदाय को लेकर अनोखी पहल की। नोएडा के सेक्टर-50 स्थित एक्वा लाइन मेट्रो स्टेशन को ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए प्राइड स्टेशन बनाया गया प्राइड मेट्रो स्टेशन में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए रोजगार और अन्य आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। शुरुआती तौर पर इस समुदाय के छह लोगों को यहां नौकरी भी दी गई है। संख्या के हिसाब से यह कार्य छोटा लग सकता है, लेकिन समाज के इस तबके को सम्मान के साथ खड़ा होने और आगे बढ़ने की दिशा में अवसर देने का यह बड़ा प्रयास है। एक ऐसा ही प्रयास पानी की किल्लत वाले इलाकों में पानी पहुंचाने का है। पानी से तरसने वाले इलाके का पर्याय बन चुके बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र से हर साल ऐसी खबरें आती थीं कि किस तरह महिलाओं को पानी लाने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है। आज इन दोनों क्षेत्रों के करीब 7500 से ज्यादा गांवों में घर-घर साफ पानी की पाइपलाइन बिछाई जानी शुरू हो गई है। पीएम मोदी और सीएम योगी की जोड़ी ने अब तक दुरूह माने जाने वाले एक सपने को हकीकत में बदल दिया है। वास्तव में मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के बाद योगी आदित्यनाथ ने कई ऐसे काम अपने हाथ में लिए हैं, जो कठिन माने जाते थे। इनमें से अनेक वह पूरा करने की ओर अग्रसर हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने कई ऐसे काम अपने हाथ में लेकर पूरे किये हैं, जो कठिन माने जाते थे
सरकारी अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आते रहने के बावजूद योगी आदित्यनाथ की छवि एक ऐसे नेता की बनी है कि वह न केवल ईमानदार हैं, बल्कि परिश्रमी भी हैं और भ्रष्टाचार को सहन नहीं करते। वह भ्रष्टाचार में लिप्त बड़े अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में संकोच नहीं करते। अब तक एक हजार से ज्यादा सरकारी कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्रवाई की गई है। इस दौर जब उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों पर ही चुनाव लड़े जाते रहे हों, यह एक बड़ी उपलब्धि है। योगी आदित्यनाथ की ईमानदार छवि के कारण ही उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं बन पाया और 2022 के चुनाव में भी इसके आसार नहीं दिखते। यह भी एक तथ्य है कि किसी मामले में सकारात्मक प्रचुरता आमतौर पर मुद्दा नहीं बनती। हमें उस प्रवृत्ति को बदलना होगा, जिसके तहत सिर्फ नकारात्मकता पर ध्यान दिया जाता है। हमें उन बातों की भी चर्चा करनी चाहिए, जो सकारात्मक हों। इससे शासक वर्ग अच्छे और सकारात्मक कदम उठाने लिए प्रेरित होगा और जनता को लाभ मिलेगा। अगर बिजली की कमी पर चर्चा होती थी तो अब उसकी उपलब्धता पर भी चर्चा होनी चाहिए। अगर अपराध पर चर्चा हो सकती है तो अपराधियों पर कार्रवाई पर भी चर्चा होनी चाहिए। अगर भ्रष्टाचार पर चर्चा हो सकती है तो ईमानदारी पर भी होनी चाहिए।
कपिल त्यागी
एडिटर-इन-चीफ: निवाण टाइम्स, दैनिक हिंट