Delhi में Republic Day पर किसानों की Tractor Rally में अचानक हिंसा की घटनाएं घटी. दिल्ली की सड़कों पर उग्र किसानों ने जमकर हंगामा किया. हालात बिगड़ने पर पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. किसानों का एक धड़ इन हिंसक घटनाओं का विरोध कर रहा है. इन्हीं में से कुछ किसान नेताओं ने Deep Sidhu पर किसानों को भड़काने और हिंसा फैलाने के आरोप लगाएं हैं. इसके बाद सिद्धू ने Facebook पर कहा कि उन्होंने लोकतांत्रिक अधिकार के तहत निशान साहिब का झंडा लालकिले पर फहराया.
कौन हैं दीप सिद्धू:
दीप सिद्धू पंजाबी अभिनेता हैं. दीप सिद्धू का जन्म 1984 में पंजाब के मुक्तसर जिले में हुआ, फिर उन्होंने आगे वकालत की पढ़ाई की. दीप Kingfisher Model Hunt के विजेता रह चुके हैं और मिस्टर इंडिया कॉन्टेस्ट में मिस्टर पर्सनैलिटी का खिताब जीत चुके हैं. शुरूआत में मॉडलिंग की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीतने से पहले वह कुछ दिन बार के सदस्य भी रहे. साल 2015 में दीप सिद्धू की पहली पंजाबी फिल्म ‘Ramta Jogi’ रिलीज हुई. हालांकि, उन्हें पहचान साल 2018 में आई फिल्म ‘जोरा दास नुम्बरिया’ से मिली, जिसमें उन्होंने गैंगेस्टर का किरदार निभाया है.
कुछ कार्यकर्ताओं और कलाकारों ने सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को 25 सितंबर के दिन अपना समर्थन देने का निर्णय लिया. पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू भी उन्हीं कलाकारों में से एक थे, जिन्होंने किसानों के साथ धरने पर बैठने का निर्णय लिया. इसके बाद उन्होंने स्थायी तौर पर धरना देने का निर्णय लिया. दीप सिद्धू ने अपने Social Media पर अपने प्रशंसकों से किसानों की समस्या को उठाने की अपील की.
सनी देओल को देनी पड़ी सफाई:
पिछले Loksabha Election में दीप ने Gurdaspur से BJP MP और बॉलीवुड एक्टर Sunny Deol के लिए चुनाव प्रचार किया था. हालांकि, लाल किले पर हुई हिंसक घटना के बाद सनी देओल ने एक ट्वीट करते हुए कहा ‘मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है. ‘ देओल ने कहा, “आज लाल किले पर जो हुआ, उसे देख कर मन बहुत दुखी हुआ है. मैं पहले भी, 6 दिसंबर को ट्वीट कर स्पष्ट कर चुका हूं कि मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू के साथ कोई संबंध नही है. जय हिन्द.”
प्रधानमंत्री के साथ फोटो वायरल:
पिछले लोकसभा चुनाव में दीप ने गुरदासपुर से BJP सांसद और बॉलीवुड एक्टर सनी देओल के लिए चुनाव प्रचार किया था. दीप सिद्ध् की BJP से नजदीकी की बात कहकर अब सोशल मीडिया पर उनकी PM Modi, HM Amit Shah व सांसद सनी देओल के साथ तस्वीरें वायरल कर दी गई हैं. कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष रजीन्दर सिंह दीपसिंह वाला ने बताया कि केंद्र सरकार शुरू से ही किसान आंदोलन को सांप्रदायिक रंग देना चाहती थी. दीप सिद्धू ने उनकी अच्छी सेवा की है.
खालिस्तान समर्थक होने का आरोप, NIA ने भेजा नोटिस:
दीप सिद्धू किसान आंदोलन में लगातार 2 महीनों से सक्रिय हैं. कुछ दिन पहले दीप को सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के साथ रिश्तों को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने नोटिस भी जारी किया था. दीप ने पिछले साल आंदोलन के दौरान किसान यूनियन की लीडरशिप पर सवाल उठाया था. उस दौरान उन्होंने शंभु मोर्चा के नाम से नए किसान संगठन की घोषणा भी की थी. तब उनके मोर्चा को खालिस्तान समर्थक चैनलों से समर्थन भी मिला था.
क्या है SFJ ?
America स्थित SFJ अपने अलगाववादी एजेंडा के तहत 2020 में सिख जनमत-संग्रह की वकालत करता रहा है. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पंजाब में एक ‘‘स्वतंत्र एवं संप्रभु देश’’ स्थापित करना है. यह खालिस्तान के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखता है और इस प्रक्रिया में भारत की संप्रभुता एवं अखंडता को चुनौती देता है. SFJ खासकर ऑनलाइन मंचों पर सक्रिय है और इसके 2 लाख से ज्यादा समर्थक हैं. लेकिन शारीरिक तौर पर इसके सदस्यों की सक्रियता बहुत कम है और इसके महज आठ-दस सक्रिय सदस्य हैं.
Punjab से क्या है कनेक्शन?
SFJ पंजाब में अमन और चैन भंग करने के लिए जब-तब प्रयास करता रहता है. Punjab Police और NIA ने कई बार इस चरमपंथी संगठन के मॉड्यूल का भंडाफोड़ भी किया है. SFJ पंजाब में गरीब युवकों को बहका कर उनसे हिंसा तथा आगजनी की घटनाएं करवाता था. इस संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को फंड मुहैया कराने का काम विदेश में बैठे SFJ के हैंडलर्स गुरपतवंत सिंह पन्नून, हरमीत सिंह और परमजीत सिंह पम्मा करते हैं. 2018 में इस संगठन ने युवाओं को ‘लंदन डिक्लेयरेशन’ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निःशुल्क यात्रा का प्रलोभन भी दिया था. इस संगठन का मूल उद्देश्य पंजाब को भारत से अलग करने का है और इस काम में Pakistan की खुफिया एजेंसी ISI इसकी सीधी मदद करती है. यह संगठन करतारपुर कॉरिडोर के जरिये अपनी गतिविधियां चलाने की कोशिश भी कर रहा था.
SFJ को इसकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. SFJ को गैर-कानूनी गतिविधियां निरोधक कानून (UAPA) के तहत प्रतिबंधित घोषित करने का फैसला किया गया. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन आदि में विदेशी नागरिकता के कुछ कट्टरपंथी सिखों की ओर से संचालित संगठन SFJ को UAPA, 1967 की धारा 3 (1) के प्रावधानों के तहत गैर-कानूनी घोषित किया गया था.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने फैसले को सराहा:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने SFJ को प्रतिबंधित करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया था और कहा था यह ‘‘आतंकवादी संगठन’’ माने जाने लायक है. उन्होंने इसे आईएसआई समर्थित संगठन के ‘‘भारत विरोधी और अलगाववादी मंसूबों’’ से देश की रक्षा करने की दिशा में पहला कदम करार दिया है. भारत के कई सिख संगठन केंद्र सरकार से बहुत पहले से ही यह मांग कर रहे थे कि SFJ को प्रतिबंधित किया जाये क्योंकि पाकिस्तान समर्थित यह संगठन समुदाय के युवाओं को भटकाने का काम कर रहा था. इस संगठन की ऑनलाइन गतिविधियों पर भी सरकार की नजर शुरू से बनी हुई है और इसके कई पेज ब्लॉक किये गये हैं. भारत ही नहीं अमेरिकी अदालत ने भी फेसबुक को आदेश दे रखा है कि ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) के फेसबुक पेजों को ब्लॉक कर दिया जाये.
दीप सिद्धू ने स्वीकारी लाल किले पर झंडा फहराने की बात:
इस बीच, दीप सिद्धू ने Facebook पर एक वीडियो जारी कर कहा कि Lal Quila पर निशान साहिब का झंडा तो उन्होंने ही फहराया है, लेकिन राष्ट्र ध्वज नहीं हटाया. साथ ही अपने ऊपर लगे आरोपों को दरकिनार कर दिया. उन्होंने कहा कि कुछ संगठनों के नेताओं ने तय रूट फॉलो नहीं करने की बात पहले ही कही थी, लेकिन भारतीय किसान यूनियन ने इसे नजरंदाज कर दिया. उन्होंने कहा कि केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ‘निशान साहिब’ को लगाया था. बता दें कि निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है.
बता दें कि किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली के कई हिस्सों में हिंसक झड़पें भी हुईं. ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और कार पर सवार सैकड़ों किसान हाथों में तिरंगा और अन्य झंडे लेकर लाल किला परिसर में घुस गए. सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों की संख्या से अधिक संख्या में किसान जल्द ही स्मारक की प्राचीर पर चढ़ गए और वहां अपना परचम लहराया. राजधानी के विभिन्न हिस्सों में मंगलवार को भड़की हिंसक झड़पों में दर्जनों पुलिसकर्मी और कई किसान घायल हो गए. ITO चौराहे के पास ट्रैक्टर पलटने के चलते एक किसान की मौत हो गई.
क्या है निशान साहिब झंडा:
निशान साहिब या निशान साहब सिखों का पवित्र त्रिकोणीय ध्वज है. यह पर्चम कपास या रेशम के कपड़े का बना होता है, इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है. इसे हर गुरुद्वारे के बाहर, एक ऊंचे ध्वजडंड पर फ़ैहराया जाता है. परंपरानुसार निशान साहब को फ़ैहरा रहे डंड में ध्वजकलश(ध्वजडंड का शिखर) के रूप में एक दोधारी खंडा (तलवार) होता है, एवं स्वयं ही डंड को पूरी तरह कपड़े से लिपेटा जाता है. झंडे के केंद्र में एक खंडा चिह्न (☬) होता है. निशान साहिब खालसा पंथ का पारंपरागक प्रतीक है. काफ़ी ऊंचाई पर फ़ैहराए जाने के कारण निशान साहिब को दूर से ही देखा जा सकता है. किसी भी जगह पर इसके फहरने का दृष्य, उस मौहल्ले में खालसा पंथ की मौजूदगी का प्रतीक माना जाता है. हर बैसाखी पर इसे नीचे उतार लिया जाता है और एक नए पर्चम से बदल दिया जाता है.