UP में त्रिस्तरी चुनाव होना है जिसकी तारीखों को लेकर काफी समय से संदेह बना हुआ था। लेकिन अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पंचायत चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, सूबे में ग्राम पंचायत के प्रधानों का कार्यकाल दिसंबर में पूरा हो चुका था। साथ ही जिला पंचायत के कार्यकाल की अवधि भी इसी साल जनवरी में खत्म हुई है। जिसको लेकर चुनाव की चर्चाएं तेज थी। लेकिन चुनाव की तारीखों में देरी हो रही थी, जिसकी बड़ी वजह सीटों पर आरक्षण न लागू होना बताया जा रहा था। लेकिन अब हाईकोर्ट के निर्देश पर आरक्षण सहित चुनाव की तारीख तय की गई है।
#Prayagraj– पंचायत चुनाव पर HC का बड़ा फैसला, 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव कराने का आदेश, 15 मई तक सभी पंचायतों के गठन का आदेश, 17 मार्च तक आरक्षित सीटों के निर्धारण का आदेश, विनोद उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया आदेश@myogiadityanath @Bhupendraupbjp @uppanchayatiraj
— News1Indiatweet (@News1IndiaTweet) February 4, 2021
दरअसल, 471 ग्राम पंचायतों में से लगभग आधी ग्राम पंचायतें आरक्षित की जानी थी, अगर ऐसा नहीं होता तो कई प्रधानी दावेदारों का मैदान में उतरना मुश्किल था। इलाहबाद हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया है कि सूबे में 30 अप्रैल तक ग्राम पंचायत सदस्यों समेत ग्राम प्रधानों के चुनाव व 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष ब्लाक प्रमुखों के चुनाव संपन्न कराए जाए। साथ ही इन सीटों पर आरक्षण लागू करने के लिए सीमा 17 मार्च तक की रखी गई है। निर्देश मिलते ही संसदीय कार्य मंत्री ने तय सीमा के मुताबिक चुनावी तैयारी करने की बता कही है। CM Yogi ने भी इसके लिए निर्देश जारी किए हैं।
बता दें, पंचायत चुनाव में इस बार वोटरों की संख्या 12 करोड़ 43 लाख से ज्यादा है। हालांकि ये संख्या 2015 के पंचायत चुनाव से 67 लाख कम है। इसी तरह पोलिंग स्टेशन की संख्या इस बार 202,000 होगी, जबकि यह संख्या 2015 में 59,162 थी। हालांकि 2015 के मुकाबले ग्राम पंचायतों की संख्या घट कर 58,194 हुई है। जिसकी वजह 59,162 ग्राम पंचायतों में से 968 का नगर निगम में विस्तार होना बताया गया है। इस चुनाव को लेकर सियासी दलों में हलचल है क्योंकि यह चुनाव 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए अहम साबित होंगे। हालांकि पंचायती राज नियमावली में बदलाव न होने के चलते पार्टी अपने सिंबल पर कोई उम्मीदवार इस चुनावी मैदान में नहीं उतार पाएगी। चुनावों में 4 पदों के लिए वोटिंग होगी जिसके लिए 50 से ज्यादा सिंबल राज्य निर्वाचन आयोग ही तय करेगा।