माता सीता की जन्मस्थली है मिथिला । यहां के लोग भगवान राम को अपना दामाद मानते हैं । बिहार के सीतामढ़ी, दरभंगा और आस इसके आस पास के इलाके को मिथिलांचल कहा जाता है । और, जो धरती माता सीता की जन्मस्थली है । वहां की होली कैसे होती है , ये जानने की इच्छा सभी को जरुर होगी ।
मां जानकी की मिथिला में होली अलग तरह से परंपरा रही है । यहां होली के दौरान फाग गाने की विशेष परंपरा रही है । इसकी शुरुआत होली दहन के साथ होती है । होली के दिन यहां कुलदेवी की पूजा सबसे पहले होती है और उन्हें रंग गुलाल लगाया जाता है ।
मिथिला में होली के दिन से ही सप्तडोरा पर्व आरंभ होता है। बुजुर्ग महिलाएं अपनी बांह में कच्चा धाग बांधने के बाद ‘सप्ता-विपता’ की कहानी गीतों के जरिए सुनाती हैं। मिथिला की होली में कई सारी परंपरायें हैं । लोगों की पुरी कोशिश है कि इस विरासत को संभाल कर रखें । हालांकि, बाजार का असर जैसे हर त्योहार में देखने को मिलता है । मिथिला की होली भी इससे अछुता नहीं है ।