होली का त्योहार उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक रंग और गुलाल के साथ मनायी जाती है । लेकिन, रंगों से हटकर कई जगहों पर होली का रंग बिलकुल अलग होता है । बात रजवाड़ों की धरती राजस्थान की करें तो यह धरती अपनी संस्कृति और विशिष्टता के लिए जाना जाता है । इसीलिए यहां की होली भी अनोखी होती है । गुलाबी शहर जयपुर में होली के त्योहार को बहुत धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
राजस्थान के कई क्षेत्रों में होली के दिन हाथी उत्सव मनाया जाता है । इस उत्सव के जरिये यहां की शान-ओ-शौकत को दर्शाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पुराने दौर में रज़वाड़े हाथी पर बैठकर शाही होली खेलते थे । वहीं से इस परंरपरा की शुरूआत हुई और हाथी पर बैठकर लोग अबीर-गुलाल उड़ाते हैं। इसका ऩजारा अद्भुत होता है । हाथियों की परेड के साथ साथ होली पर जयपुर में ब्यूटी-कॉन्टेस्ट, रस्साकशी जैसी कई प्रतियोगिताएं होती हैं ।
यहां होली मनाने वाले लोग पक्के रंग का इस्तेमाल करते हैं। असल में इस पक्के रंग का भी भारत की पौराणिक कथाओं से रिश्ता है। प्राचीन भारतीय सस्कृंति और धार्मिक अनुष्ठानों का हमेशा से ही प्रकृति से गहरा नाता रहा है। इसलिए पुराने समय में प्राकृतिक रंगों और जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके पक्के रंग बनाए जाते थे। इस वजह से आजकल भी लोग होली मनाने के लिए पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं।