दूर दराज से आने वाले लोग शहरों में किराए के मकान में रहते हैं, वहीं कुछ लोग अपने व्यवसाय के लिए दुकान अथवा घर किराए पर लेते हैं. कई बार मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद की ख़बरें भी आती है, लेकिन हम जिस मामले की बात आपको बता रहे हैं उसमे सुप्रीम कोर्ट को भी हस्तक्षेप करना पड़ा. इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक को राहत दी, और किराएदार पर सख्त टिपण्णी की.
सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार को राहत नहीं देने का फैसला करते हुए कहा कि, उसे किराए पर ली जगह छोड़नी होगी और बकाया राशि भी जल्द चुकानी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार को नसीहत देते हुए कहा कि, मकान मालिक समझने की गलती ना करे. जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, किराएदार किसी किराए की जगह पर जितने भी समय तक रह ले लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि वह किराएदार है ना ही मकान का मालिक.
किराएदार को नहीं मिली राहत
खबर के मुताबिक किराएदार ने मकान मालिक को 3 साल से जगह का किराया नहीं दिया था, और ना ही दुकान को खाली किया. निचली अदालत ने भी किराएदार को 2 महीनों के भीतर जगह खाली करने और किराया चुकाने की बात कही थी, बावजूद इसके किराएदार ने जगह खाली नहीं की. खबर के मुताबिक किराएदार के वकील ने किराया चुकाने के लिए वक्त मांगा था, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए राहत नहीं दी कि किराएदार द्वारा मकान मालिक को परेशान किया गया उसे देखते हुए राहत नहीं दी जाएगी.