अप्रैल शुरू हो गया है लेकिन उत्तर प्रदेश की तबादला नीति का पता नहीं है .प्रदेश सरकार ने 29 मार्च, 2018 को स्थानांतरण सत्र 2018-19 से 2021-22 तक (चार वर्ष) के लिए एक साथ तबादला नीति जारी की थी. नीति के तहत एक अप्रैल से 31 मई के बीच तबादले किए जा सकते हैं. समूह ‘क’ व ‘ख’ के जो अधिकारी अपने सेवाकाल में तीन वर्ष पूरा कर चुके हैं, उन्हें जिलों से हटाने की व्यवस्था है. समूह ‘क’ व ‘ख’ के जो अधिकारी मंडल में 7 वर्ष पूरा कर चुक हैं, उन्हें मंडलों से स्थानांतरित करने की व्यवस्था है.

समूह ‘ग’ के कार्मिकों के प्रत्येक तीन वर्ष पर पटल परिवर्तन के प्रावधान हैं. शासन ने पिछले वर्ष 12 मई, 2020 को कोविड-19 के मद्देनजर स्थानांतरण सत्र 2020-21 के लिए अग्रिम आदेशों तक सभी तरह के स्थानांतरण पर रोक लगाई थी. विशेष परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की अनुमति लेकर तबादले के निर्देश दिए थे. इस प्रतिबंध का नतीजा ये हुआ कि जिलों से लेकर मंडल तक अधिकारी नीति के विरुद्ध कार्यरत हैं. नियुक्ति, वित्त व चिकित्सा स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा जैसे विभागों में विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर वर्ष भर थोक के भाव तबादले हुए हैं. मगर, जो कर्मचारी पारिवारिक कारणों व विशेष परिस्थितियों की वजह से हटना चाहते हैं, उनका तबादला सामान्य स्थानान्तरण सत्र में विचार के आश्वासन पर लंबित है.
स्थानांतरण को लेकर कोई भी दिशानिर्देश अब तक जारी नहीं हुए
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि एक अप्रैल से स्थानांतरण सत्र 2021-22 शुरू हो गया है. लेकिन स्थानांतरण को लेकर कोई भी दिशानिर्देश अब तक जारी नहीं हुए हैं. कर्मचारी व विभागीय मंत्री लगातार तबादलों के लिए पूछताछ कर रहे हैं. मंत्रियों पर फील्ड के कार्यकर्ताओं का दबाव है. कार्मिकों के बच्चों के प्रवेश व पढ़ाई की व्यवस्था आदि के लिहाज से यह समय तबादले के लिए सबसे मुफीद है. इधर, कोविड-19 का संक्रमण फिर बढ़ रहा है. ऐसे में शासन के कार्मिक विभाग को जल्द से जल्द यह निर्देश जारी करने चाहिए कि चालू स्थानांतरण सत्र में तबादले होंगे या नहीं.