जस्टिस एनवी रमन्ना (justice nv ramana) अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) नियुक्त किए गए हैं, वह 24 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (president ram nath kovind) ने जस्टिस एनवी रमन्ना के नाम पर औपचारिक मौहर लगा दी है. आपको बता दें कि अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम के प्रस्ताव के तौर पर उनका नाम वर्तमान सीजेआई एसए बोबडे ने ही रखा था. बोबडे का कार्यकाल 23 अप्रैल को खत्म हो रहा है. 24 अप्रैल को नए चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेने के बाद एनवी रमन्ना का कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा.
किसान परिवार से आते हैं एनवी रमन्ना
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के पोन्नावरम गांव में पैदा हुए एनवी रमन्ना किसान परिवार से आते हैं. बतौर एडवोकेट एनवी रमन्ना ने अपना करियर 10 फरवरी 1983 को शुरू किया. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट से शुरुआत करने वाले एनवी रमन्ना सेंट्रल एन्ड आंध्र प्रदेश एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल्स, क्रिमिनल, लेबर, सनेधानिक, चुनावों से जुड़े मामलों आदि को देखा. दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रह चुके एनवी रमन्ना 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे.
इमरजेंसी के दौरान सरकार के खिलाफ
रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस एनवी रमन्ना छात्र नेता भी थे, इमरजेंसी के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोगों की स्वतंत्रता को लेकर अपनी आवाज उठाई. खबर के अनुसार उन्होंने अपनी शिक्षा का 1 वर्ष संघर्ष को समर्पित कर दिया था.

मुख्यमंत्री रेड्डी के साथ विवाद
पिछले वर्ष अक्टूबर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री YS Johan Reddy ने जस्टिस एनवी रमन्ना पर और उनके परिवार पर भ्रष्ट होने के आरोप लगाए थे, मुख्यमंत्री ने इस संबंध में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बोबडे को पत्र भी लिखा था. आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह आंध्र प्रदेश कोर्ट में सुनवाई और फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनकी सरकार को अस्थिर किया जा सके. उन्होंने बोबड़े से जांच की मांग की थी. दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से रेड्डी के पत्र की आलोचना भी की, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने जांच की मांग करते हुए कहा, आरोप झूठे निकलते हैं तो रेड्डी पर जुर्माना लगाया जाए.