13 से 21 अप्रैल तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि में इस बार कोरोना के कारण श्रद्धालुओं को देवी मंदिरों में दर्शन के लिए खाली हाथ जाना होगा. मुस्लिम धर्मगुरु ने भी रमजान में सेहरी के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न करने और कोरोना खात्मे की दुआ करने की अपील की. मंदिरों में नवरात्रि में प्रसाद, फूल और धूप-दीप, चुनरी आदि पूजन सामग्री मंदिर परिसर में ले जाने की अनुमति नहीं होगी. मंदिरों में कोई भी विशेष आयोजन नहीं होगा. नाइट कर्फ्यू के कारण मंदिर केवल दिन में खुलेंगे. मंदिर परिसर में किसी भी व्यक्ति को कोरोना संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते पाया गया तो उसे तुरंत बाहर निकाल दिया जाएगा.


मस्जिद में एक वक्त में सिर्फ 100 लोगों को अनुमति
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि कोविड संक्रमण देखते हुए किसी भी मस्जिद में एक वक्त में 100 से ज़्यादा लोग इकट्ठा न हो. मस्जिदों में मास्क, सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. इफ्तार में भी एक वक्त में 100 से ज्यादा लोग इकट्ठा न हो. लखनऊ में रमजान और कोरोना को लेकर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बयान जारी किया. उन्होंने कहा है कि 12 अप्रैल को रमजान का चांद देखा जाएगा. अगर 12 अप्रैल को चांद नहीं दिखा तो 14 अप्रैल 2021 को पहला रोजा होगा. मौलाना ने रमजान में कोरोना नियमों का पालन करने की अपील भी की है. उन्होंने सेहरी और इफ्तार में लोगों से कोरोना के खात्मे की दुआ करने की अपील की. मौलाना ने आगे कहा कि इसके साथ सेहरी में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न करें.


मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि नाइट कर्फ्यू का ध्यान रखते हुए अव्वल वक्त में नमाज-ए-ईशा पढ़ाई जाए. इसके बाद तरावीह की नमाज पढ़ाई जाए. मौलाना ने यह भी कहा कि किसी भी मस्जिद में डेढ़ पारे से ज्यादा न पढ़ा जाए. आपको बता दें कि रमजान की शुरूआत चांद देखने के बाद होती है. सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देश चांद दिखने के बाद ही रमजान की सही तिथि की घोषणा करते हैं. चांद दिखने के हिसाब से रमजान का महीना कभी 29 तो कभी 30 दिन का होता है.
भारत में रमजान की शुरूआत चांद निकलने पर निर्भर होती है. इसलिए इसकी तारीख हर देश में अलग-अलग हो सकती है