Yamuna Authority news: वर्षों से अधर में लटके यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) के छह टाउनशिप प्रॉजेक्टों को पूरा करने की कवायद तेज हो गई है। अथॉरिटी ने इन लंबित परियोजनाओं को खुद अपने हाथ में लेने की तैयारी कर ली है, जिससे 6 हजार से अधिक घर खरीदारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इन प्रॉजेक्टों का पहले एक विशेषज्ञ कंपनी, कैरी एंड ब्राउन, से ऑडिट कराया जाएगा ताकि उनकी वित्तीय स्थिति और पूरे होने की संभावना का पता चल सके। यह ऑडिट प्रॉजेक्ट में लगे पैसे, बायर्स से लिए गए फंड, बिकी हुई यूनिट्स और इसे पूरा करने में लगने वाली लागत का विस्तृत ब्योरा देगा।
यदि प्रॉजेक्ट को पूरा करने में कोई बड़ी अड़चन नहीं आती है, तो अथॉरिटी स्वयं इन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी लेगी। यह फैसला उन हजारों खरीदारों के लिए आशा की नई किरण है जो बिल्डर के बकाए और कानूनी मसलों के कारण अपने घर के लिए लंबा इंतजार कर रहे थे।
7 नवंबर को बोर्ड बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव
Yamuna Authority के इस महत्वपूर्ण कदम का प्रस्ताव 7 नवंबर को होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड को इन छह प्रॉजेक्टों को पूरा करने की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी जाएगी और सभी टाउनशिप की स्टेटस रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाएगी। बोर्ड की मुहर लगने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू होगी। सीईओ, आरके सिंह के अनुसार, कोर्ट के आदेश के बाद बायर्स को घर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। उन्होंने यह भी बताया कि अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों का लाभ लेने के लिए पांच बिल्डरों ने अनुरोध किया था, लेकिन बकाया भुगतान और दावों के निपटारे जैसी अड़चनें बनी हुई हैं।
कोर्ट को बताया जाएगा एक्शन प्लान
ये छह टाउनशिप प्रॉजेक्ट अलग-अलग कारणों से अधूरे पड़े हैं— कहीं किसानों के साथ मसला अटका है, तो कहीं बिल्डर का बकाया है। कुछ प्रॉजेक्टों में काम होने के बावजूद वे पूरे नहीं हो पाए हैं। अथॉरिटी अब इन प्रॉजेक्टों को पूरा करने के लिए कोर्ट का रुख भी करेगी। कोर्ट को यह बताया जाएगा कि किस तरह से इन प्रॉजेक्टों को पूरा किया जाएगा और घर खरीदारों को राहत देने के लिए अथॉरिटी का एक्शन प्लान क्या होगा। अथॉरिटी का मानना है कि इन परियोजनाओं के पूरे होने से 6 हजार से अधिक फंसे हुए घर खरीदारों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी।
नोएडा अथॉरिटी ने मांगा खेल सुविधाओं का ब्योरा
एक अन्य घटनाक्रम में, नोएडा अथॉरिटी ने ब्रिक राइज प्रॉजेक्ट के 450 फ्लैटों के लिए कंडीशनल ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC) जारी करने से पहले बिल्डर से खेल सुविधाओं का हिसाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद अथॉरिटी ने यह निर्णय लिया है कि कंडीशनल ओसी तभी जारी की जा सकती है जब बिल्डर ने प्रॉजेक्ट में सभी शर्तें पूरी की हों। एसीईओ सतीश पाल ने बताया कि बिल्डर का जवाब आने के बाद ही ओसी जारी करने पर विचार किया जाएगा। यह नोएडा स्पोर्ट्स सिटी में पहला ऐसा मामला है जिसमें ओसी जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीधे अथॉरिटी को निर्देश दिया है।