MP News: क्या दलित होना पाप हैं? देश भर में आज जहां ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की तर्ज पर बेटियों को शिक्षा और सस्मान मिल रहा है, वहीं मध्य प्रदेश से एक ऐसी खबर आई है जो हमें सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या अभी भी लोगों की मानसिकता बदली नहीं है? क्या लोग अब भी लड़कियों की पढ़ाई को लेकर जागरूक नहीं हैं? क्या अब भी शिक्षा पर सबका अधिकार नहीं है? दरअसल मध्य प्रदेश के एक गांव में दलित लड़की को कुछ लोगों ने स्कूल जाने से इसलिए रोक दिया क्योंकि गांव की अन्य लड़कियां स्कूल नहीं जातीं। जब वह स्कूल से घर लौट रही थी तब कुछ लोगों ने उसका रास्ता रोक दिया। उसका बस्ता छीन लिया गया। लड़की को धमकी दी गई कि वह फिर से स्कूल नहीं जाएगी। जिन लोगों ने उसका रास्ता रोका था उनका कहना था कि गांव की कोई भी लड़की स्कूल नहीं जाती है ऐसे में उसे भी स्कूल जाना बंद करना होगा। इसको लेकर लड़की के परिवार वालों ने विरोध किया। मामला पुलिस तक पहुंचा।
यह है पूरा घटनाक्रम
छात्रा लक्ष्मी मेवाड़ (16) ने बताया कि गांव के कुछ लोग उसके स्कूल जाने से खुश नहीं हैं। वे उसे स्कूल जाने से मना करते हैं। उसने बताया कि जब मैं स्कूल से लौट रही थी तो गांव के ही माखन, कुंदन और धर्मेंद्र सिंह ने मेरा रास्ता रोक लिया। उन्होंने कहा – हमारे गांव में लड़कियां स्कूल नहीं जाती, तुम भी नहीं जाओगी। यह बात मेरे भाई ने सुनी तो उसने विरोध करते हुए कहा – मेरी बहन तो पढ़ने जाएगी।इस बात को लेकर उन्होंने भाई ने विवाद शुरू कर दिया। परिवार के लोगों ने उन्हें अलग किया। कुछ देर बाद उन्होंने फिर से लाठी-डंडे से हमला बोल दिया। देखते ही देखते दोनों पक्षों की ओर से लाठी-डंडे चलने लगे। विवाद में 55 साल के नारायण मेवाड़, 50 साल की अंतर बाई, 25 साल के लखन परिहार, 27 साल के कमल मेवाड़ और 16 साल के सचिन को चोट आई है। कोतवाली थाना प्रभारी एके शेषा ने बताया पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।