हमीरपुर। तुलसी के पेड़ की पूजा होते तो आपने जरूर देखा होगा, लेकिन क्या आपने सुना है कि तुलसी के पेड़ से किसी गरीब किसान की किस्मत ही बदल गई। हम बात कर रहे हैं तुलसी के पेड़ों की खेती की। क्योंकि तुलसी के पेड़ों की खेती में कम लागत में तीन गुना मुनाफा मिलता है। इसीलिए अब कई किसान तुलसी की खेती करके अपनी किस्मत चमका रहे हैं।
कुछ ऐसा ही नजारा है हमीरपुर जिले के किसानों का, हमीरपुर जिले में तुलसी की खेती का अब किसानों ने दायरा बढ़ाया है। इस साल सात हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में पांच सौ किसानों ने तुलसी की खेती की है। जिले के डीएम ने तुलसी के लहलहाते पौधों को देख अधिकारियों को अब सीधे तौर पर ये निर्देश दिए हैं कि तुलसी की फसल होने के बाद इसके विक्रय का भुगतान 72 घंटे के अंदर होना चाहिये।
हमीरपुर जिले में औषधीय फसल तुलसी की खेती का इस साल दायरा किसानों ने बढ़ाया है। अभी तक राठ, सरीला और गोहांड क्षेत्र के तमाम गांवों में किसान तुलसी की खेती कर रहे थे, लेकिन इस बार सुमेरपुर क्षेत्र के इंगोहटा, कनगामऊ, विदोखर, पत्योरा सहित दूसरे गांवों के किसानों ने तुलसी की राम प्रजाति की पौध खेतों में लगाई है। सुमेरपुर ब्लाक के पत्योरा गांव के रहने वाले संदीप सिंह की मानें तो अभी शुरुआत में एक बीघे में राम तुलसी की पौध लगवाई गई है। इसकी डिमांड भी औषधीय दवाओं में ज्यादा होने से किसान मोटा मुनाफा ले रहे हैं। तुलसी की खेती के लिए उद्यान विभाग सब्सिडी भी देता है।
गौरतलब है कि सुमेरपुर के रहने वाले प्रगतिशील किसान सिद्धार्थ सिंह ने पौध खरीदकर पांच किसानों को पौध मुहैया कराई है। यदि इस साल अच्छी आमदनी हुई तो अगले साल तुलसी की खेती का दायरा बढ़ाया जाएगा। नेशनल एडेप्टेशन फंड फार क्लाइमेट चेंज परियोजना के तहत बिहुनी खुर्द में तुलसी के पौधों का निरीक्षण कर जिलाधिकारी डा. चन्द्र भूषण त्रिपाठी ने अधिकारियों से कहा कि तुलसी की फसल का विक्रय करने के 72 घंटे के अंदर भुगतान कराने की कार्रवाई की जाए।
7 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में लहलहाई तुलसी की फसलें
जिला उद्यान अधिकारी रमेश पाठक ने बताया कि हमीरपुर जिले के उमरिया, बहपुर, तुरना, रिगंवारा खुर्द, भैसाय, सहित अन्य तमाम गांवों में पांच सौ किसानों ने सात हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में तुलसी की खेती की है। इस बार खेतों में तुलसी की फसलें लहलहाई है। बताया कि तुलसी की पत्ती सुखाने के बाद इसे आर्गेनिक इंडिया कम्पनी खरीदेगी। किसानों को तुलसी की खेती को 15752 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाता है।
तुलसी की खेती से किसानों के घरों में आई खुशहाली
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि तुलसी की खेती से किसानों के घरों में खुशहाली देखी जा रही है, क्योंकि तीस हजार रुपए प्रति हेक्टेयर लागत लगाने के बाद किसान सीधे तौर पर 80 हजार रुपये का मुनाफा ले रहे है। बताया कि तुलसी की खेती तीन महीने में होती है। इसके बाद तुलसी की पत्ती सुखाने के बाद किसान कम्पनी को बेचता है। इसीलिए यहां की जलवायु एवं मिट्टी के मद्देनजर कम समय में आमदनी का ये बेहतर विकल्प है।